ऐसी विलक्षण प्रतिभा के धनी एकमात्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर!

स्वातंत्र्यवीर सावरकर विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनमें विभिन्न ऐसे गुण थे, जिनके कारण वे क्रांतिकार्य, राष्ट्र नेतृत्व, साहित्य कार्य, समाजकार्य से देश के अग्रणी नेताओं में से थे।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर

संकलन: डॉ.(कैप्टन) सिकन्दर रिज़वी

स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी मात्र एक सशस्त्र क्रांतिकारी ही नहीं वरन एक युग दृष्टा थे। इसके साथ-साथ वे एक राष्ट्र सृष्टा भी थे। स्वातंत्र्यवीर सावरकर विश्व क्रांतिकारिता के सूत्रधार और व्यवस्थापक भी थे। उनकी वीरता, धीरता पांडित्य और कुशल नेतृत्व को देखकर पूरा विश्व चकित था। साम्यवादी क्रांति के सूत्रधार लेनिन भी वीर सावरकर जी की विलक्षणता से अत्यधिक प्रभावित थे।

जब रूस के क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी, उस समय लेनिन इंग्लैंड में वीर सावरकर जी के पास गए और इण्डिया हाउस में छिपे थे। लेनिन, अपने अज्ञातवास में स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी से रोज घंटों भावी अर्थव्यवस्था पर विचार-विमर्श करते थे। रुसी क्रान्ति सफल होने के पश्चात लेनिन ने अपने प्रथम बजट में वीर सावरकर का आदर सहित उल्लेख किया। उसके पश्चात लेनिन, वीर सावरकर से तीन बार और मिले। दोनों के बीच वैचारिक सम्बन्ध लम्बे समय तक रहा। रुसी क्रान्ति अभिलेखों में सावरकर जी को विश्व का महानतम क्रांतिकारी कहा गया है।

हमारे इतिहासकारों ने पारतंत्र भारत व सत्ता परिवर्तन के बाद तथाकथित सरकारों के जूठे बर्तनों को चाटकर, इतिहास में देश के गौरवशाली अतीत एवं वीर सावरकर जी व अन्य क्रांतीकारियों की भूमिका को झूठलाकर, देशवासियों को कायरता का इतिहास पढ़ाया, मूल्याहृास कर देश का उपहास व मजाक उड़ाया।

मातृभूमि पर वीर सावरकर का आदर्श वाक्य
हे मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।
“स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर”

हम हिन्दू अपने आप में एक राष्ट्र हैं, हिन्दू राष्ट्रवादियों को हिन्दू सम्प्रदायवादी कहे जाने पर लज्जित होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
– स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर (सन 1938)

ऐसे महान हुतात्मा स्वातंत्र्यवीर सावरकर ही थे

1. वीर सावरकर भारत के पहले क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरूद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।

2. वीर सावरकर भारत के पहले क्रांतिकारी थे, जिन्होंने बंग-भंग के बाद सन 1905 में ‘स्वदेशी’ का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।

3. वीर सावरकर भारत के पहले ऐसे क्रान्तिकारी थे जिन्हें क्रांतिकार्यों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।

4. वीर सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।

5. स्वातंत्र्यवीर सावरकर भारत के पहले ऐसे क्रान्तिकारी थे, जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को भारत का प्रथम ‘स्वाधीनता संग्राम’ बताते हुए वर्ष 1907 में लगभग एक हज़ार पृष्ठों की पुस्तक लिखी।

6. स्वातंत्र्यवीर सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिश साम्राज्य की सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।

7. वीर सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।

8. वीर सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिन्होंने एक अस्पृश्य को मंदिर का पुजारी बनाया था।

9. सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।

10. वीर सावरकर जी ऐसे पहले कवि थे, जिन्होंने कलम और काग़ज़ के बिना ही जेल की दीवारों पर कील और नुकीले कांटों से कविताएं लिखीं। वीर सावरकर जी ने अपनी रची हुई लगभग साढ़े छह हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षों अपनी स्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक पहुंच नहीं गई।

11. स्वतंत्रता के लिए लड़ने व देश के क्रांतिकारियों के लिए संगठन खड़ा करने का प्रयास करने वाले तुर्की, रूस, इटली, आयरिश, इजिप्त व अन्य देशों के क्रांतिकारीयों से संपर्क करने वाले महान हुतात्मा थे स्वातंत्र्यवीर सावरकर।

12. बाल्यकाल में ही पोवाडा (मराठी काव्य) के माध्यम से किशोर और युवा वर्ग में प्रेरणा फूँकने वाले एक मात्र सावरकर ही थे।

13. मुख्यतः नौ रस प्रख्यात है, लेकिन 10 वा रस देश भक्ति का उत्पन्न करने वाले एक मात्र सावरकर ही थे।

14. अस्पृश्य लोग देव मूर्ति को स्पर्श कर सकते है ऐसे पतित पावन मंदिर का निर्माण कराने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे। श्री भागोजी कीर ने सावरकर से प्रेरणा लेकर अपने खर्च पर रत्नागिरी में पतित पावन मंदिर का निर्माण किया।

15. एक अस्पृश्य से शंकराचार्य के गले में हार पहनाने की घटना साकार करने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

16. रत्नागिरी से अस्पृश्यता पूर्णरूप से समाप्त करने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे। देवनागरी लिपी को टंक लेखन सुयोग्य बनाने वाले, लिपी में सुधार करने वाले दुनिया के एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

17. भाषा शुद्धि का महत्व समझाने वाले पहले एक मात्र वीर सावरकर ही थे। अंग्रेजी भाषा को शेरनी का दूध कहकर गौरवान्वित करने वालों को तमाचा मारकर, मातृभाषा व राष्ट्रभाषा के अभिमान से सम्पूर्ण समाज को जागृत करने वाले, इसका महत्व समझाने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

18. साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर बोलते हुए वीर सावरकर ने कहा, देश की स्वतंत्रता के लिए कलम के बदले बंदूक थामनी चाहिये।

19. 1901 में जनवरी माह में विक्टोरिया की मृत्यु हुई, उस समय हिन्दुस्थान में शोक सभा आयोजित हो रही थी, सावरकर पहले नेता थे, जिन्होंने भरी सभा में कहा था, इंग्लैंड, हिन्दुस्थान का शत्रु देश है, शत्रु देश की रानी के निधन पर शोक सभा का आयोजन का कोई कारण नहीं बनता है।

20. वीर सावरकर पहले गैर सिख नेता थे, जिनका सम्मान करते हुए गुरुद्वार प्रबंधक कमिटी के अध्यक्ष मास्टर तारा सिंह ने चाँदी की मूठ से बनी तलवार भेंट की।

21. भविष्य को काफी आगे देखने की एक दिव्य दृष्टि रखने वाले थे वीर सावरकर, उनके द्वारा की गई 40 से अधिक भविष्यवाणियां सच हो रही हैं।

22. हिंदू यह शब्द बाहरी नहीं, प्राकृतिक है, हमारा ही है, यह समझाने वाले पहले विद्वान सावरकर ही थे, उन्होंने प्रमाण सहित सिद्ध किया कि यह शब्द मोहम्मद पैगम्बर के हजार साल पहले से उपयोग में लाया गया। यह शब्द राष्ट्र का वाचक है, वो किसी धर्मग्रन्थ, अवतार व देवता के नाम से निकला हुआ नहीं है, यह कहने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

23. नेहरू कहते थे… अक्साई चीन तो नो मेंस लैंड है ऐसा कहने वाले को करारा जवाब देते हुए सावरकर ने कह, आपको पता है तो, नो मेंस लैंड है तो उसे इतने दिनों तक हिंदू मेंस लैंड क्यों नहीं किया, ऐसा बेबाक उत्तर देने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

24. 1957 मे हिन्दू महासभा, रामराज्य परिषद व जनसंघ ने कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय करने हेतु, संयुक्त आंदोलन किया, कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने सरकार की सहमति बिना बाहर के राज्य के लोगों को कश्मीर में प्रवेश वर्जित किया था, मैं यह आदेश तोड़कर कश्मीर जाऊँगा। ऐसी घोषणा श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की, तो वीर सावरकर ने कहा सत्याग्रह करने, आप कश्मीर मत जाओ, वहां आपकी हत्या हो जाएगी, आपकी मुझे व राष्ट्र को बहुत जरूरत है, ऐसा कहने वाले वीर सावरकर ही थे, जो आगे सही सिद्ध हुआ, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जेल में संदेहास्पद मृत्यु हो गई।

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25. सेना को हमेशा आक्रामक होना चाहिए, तभी राष्ट्र का संरक्षण हो सकता है, ऐसा कहने वाले एक मात्र वीर सावरकर ही थे।

26. राजनीति का हिंदुकरण और हिंदुओं का सैनिकीकरण करने का मंत्र देने वाले, देश को एक करोड़ की सेना की रिजर्व (आरक्षित) सेना बनाने की जरूरत है ऐसे विचार को रखने वाले थे वीर सावरकर।

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