मणिपुर में शांति, सेना के इस अभियान का दिख रहा है असर

मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।

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सेना और असम रायफल्स ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति स्थापना अभियान तेज कर दिया है। राजधानी इंफाल से करीब 40 किलोमीटर दूर घने जंगल से घिरे न्यू कीथेलमनबी गांव में सेना ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू किया है। सेना और असम राइफल्स के जवान 26 मई को इंफाल घाटी के किनारे कांगपोकपी जिले के एक गांव पहुंचे और अवैध हथियारों की तलाश शुरू की।

खतरनाक हथियार के साथ ही बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद
पिछले कुछ दिनों से समुदाय एक-दूसरे पर आग्नेयास्त्रों से हमला कर जान लेने पर आमादा हैं। न्यू कीथेलमनबी गांव में औचक छापेमारी में एक एयर गन और कारतूस के खाली पैकेट के साथ एक देसी पाइप गन और भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया गया है। मणिपुर के कुछ हिस्सों में जातीय दंगों के मद्देनजर सशस्त्र सतर्कता समूह कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं। इससे शांति प्रक्रिया जटिल हो रही थी।

स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास तेज
एक सैन्य अधिकारी के अनुसार ऐसे तत्वों से निपटते हुए राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश की जा रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स ने विभिन्न समुदायों के गांवों में औचक तलाशी अभियान चलाने का फैसला किया है। सेना सूत्रों ने साफ किया है कि इस दौरान किसी एक समुदाय विशेष को लक्षित नहीं किया जा रहा है। न्यू कीथेलमनबी गांव राष्ट्रीय राजमार्ग -37 से सटा है, जो इस समय मणिपुर की एकमात्र जीवन रेखा है।

सूचना मिलने पर कार्रवाई
सैन्य सूत्रों के अनुसार अस गांव के लोगों के पास आग्नेयास्त्र और विस्फोटक होने की सूचना पर यह कार्रवाई की गई। सेना का मुख्य उद्देश्य राजमार्ग की सुरक्षा करना है ताकि वहां कोई अप्रिय घटना न हो सके। लगभग 250 ट्रक प्रतिदिन आवश्यक वस्तुओं को ले जाने के लिए इस मार्ग का उपयोग कर रहे हैं। पहाड़ी पर बसे इस गांव में बंकर और खाई तक का निर्माण किया गया है। एक बंकर के पास कारतूसों के खाली पैकेट मिले हैं।गांव के ऊपर की पहाड़ी से सड़क को लकड़ियां और झाड़ियां लगाकर पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया गया था। राजमार्ग से प्रवेश खुला था। तलाशी अभियान की वीडियोग्राफी की गई।

महिला के आरोप का सेना अधिकारियों ने किया खंडन
इस बीच एक महिला (जिसके घर की तलाशी ली गई) ने आरोप लगाया कि सुरक्षाकर्मी आए दिन तलाशी अभियान के नाम पर परेशान करते हैं। सेना के अधिकारियों ने ऐसे किसी भी आरोप का खंडन किया है। अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी खुफिया सूचनाओं के आधार पर की गई। जिन प्लाटून को भेजा गया था, उनमें असम रायफल्स की महिला जवान भी थीं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिन महिलाओं के घरों की तलाशी ली गई है, वे सुरक्षित रहें।

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ऐसे से शुरू हुई हिंसा
मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में ‘जनजातीय एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हुईं। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर हिंसा हुई थी। इसके चलते तनाव फैल गया और आंदोलन शुरू हुआ।

मैतेई समुदाय की आबादी 53 प्रतिशत
मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। जातीय संघर्ष में 70 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। पूर्वोत्तर राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए लगभग 10 हजार सेना और अर्ध-सैन्य कर्मियों को तैनात करना पड़ा है।

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