भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है 1 नवंबर?

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भारत के लिए 1 नवंबर ऐतिहासिक दिन है। यह वह तारीख है, जब देश के 6 राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन किया गया था। इसलिए देश के साथ ही इन राज्यों के लिए भी इस दिन का काफी महत्व है। वर्ष 1956 से 2000 तक इसी दिन भारत के अलग-अलग छह राज्यों का जन्म हुआ। इसीलिए ये राज्य 1 नबंबर को अपना स्थापना दिवस मनाते हैं। इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और केरल शामिल हैं।

पंजाब और हरियाणा
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब राज्यों के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया तो पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और मौजूदा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, सभी एक बड़े राज्य पंजाब प्रांत के हिस्सा थे। मगर सिखों ने शिरोमणि अकाली दल के नेतृ्त्व में अलग से सिख राज्य बनाने की मांग कर दी।

मास्टर तारा सिंह के नतृ्त्व में आंदोलन
1950 के दशक में अकाली दल ने मास्टर तारा सिंह के नतृ्त्व में पंजाबी सूबा आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने भषा के आधार पर राज्य विभाजन की मांग की। इसका कारण यह था कि उस समय सिखों के आलावा बहुत-से हिंदू भी इस राज्य में रहते थे। उन्होंने इसके साथ ही सभी हिंदुओं ने हिंदी को राष्ट्ऱ भाषा बनाने का समर्थन किया, मगर पंजाबी बोलनेवाले सिखों को यह मंजूर नहीं था।

आयोग ने किया नामंजूर
इस मामले में राज्य पुनर्गठन आयोग के समझ प्रस्तुत किया गया। राज्य पुनर्गठन आयोग ने पंजाबी को हिंदी से अलग न मानते हुए इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। लेकिन उन्होंने अपनी मांगें जारी रखीं और इसके लिए प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार किया।

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1966 में मांग स्वीकार
आखिरकार सितंबर 1966 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इनकी मांगों को स्वीकार किया और पंजाब को तीन भागों में बांट दिया। शाह कमीशन के सुझाव पर पंजाब का दक्षिण हिस्सा हरियाणा बना गया, क्योंकि इस भाग में हरियाण्वी बोली जाती थी। इसके साथ ही जहां पहाड़ी भाषा बोली जाती थी, उसे हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया। शेष भागो को चंडीगढ़ छोड़कर पंजाब बना दिया गया।

चंडीगढ़ पर दोनों का अधिकार
चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा दोनों ही अपना अधिकार जताते थे, इसलिए इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया और इसे दोनों राज्यों की राजधानी बना दिया गया।

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश को देश के बीचोंबीच स्थित होने के कारण इसे देश का दिल कहा जाता है। इस राज्य की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी। लेकिन भारत सरकार के लिए मध्य प्रदेश की स्थापना काफी चुनौतीपूर्ण थी।वास्तव में चार प्रांत मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश और भोपाल को जोड़कर एक राज्य बनाया गया था। लेकिन इन प्रांतों में रहनेवाले लोगों के अल–अलग विचार, जीवन शैली और खान-पान तथा संस्कृति के कारण समस्या पैदा हो रही थी।

नवाब का विरोध
सबसे पहले भोपाल के राजतंत्र को वर्ष 1949 में समाप्त कर दिया गया। उस सम नवाब हमीदुल्लाह खान भोपाल की व्यवस्थ संभाल रहे थे। लेकिन जब लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया तो उन्होंने भारत सरकार की राज्य पुनर्गठन की नीति के तहत भपाल को अन्य प्रांतों के साथ विलय करके एक राज्य के गठन की मंजूरी दी। उसके बाद आखिरकार मध्य प्रदेश राज्य बना। बाद में 1 नवंबर 2000 के दिन छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग कर एक नया राज्य बना दिया गया।

छत्तीसगढ़
आजादी से पहले तक छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल प्रांत के नाम से जाना जाता था। साल 1956 में इस प्रांत का विलय वर्तमान मध्य प्रदेश में कर दिया गया था। मगर बाद में बाकी राज्यों की तरह मध्य प्रदेश का गठन भी भाषा के आधार पर नहीं हुआ था। यहां सभी लोग छत्तीसगढ़ी और गोंड भाषा बोलते थे। इसके आलावा छत्तीसगढ़ इसलिए के नाम से जाना गया क्योंकि इसमें 36 गढ़ सम्माहित थे। लेकिन उस समय सरकार ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन 20वीं शताब्दी के अंत कर इसे अलग करने की मांग जोर कपड़ने लगी। और लोगों की भावनाओं को देखते हुए साल 1998 में विधान सभा में छत्तीसगढ़ के गठन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। यह भारत का 26वां राज्य है और इसमें कुल 27 जिले हैं।

कर्नाटक
1 नवंबर 1956 को सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में विलय कर दिया गया था। हालांकि कर्नाटक शब्द का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन वर्तमान कर्नाटक राज्य पहले 20 से भी अधिक प्रांतों में विभाजित था। उनमें मद्रास, बॉम्बो प्रेसीडेंसी और निजामो की हैदराबाद शामिल थी। 19वीं शताब्दी में धरवाड़ में कर्नाटक विद्यावर्धक संघ के साथ कर्नाटक के एककीकरण के लिए आंदोलन शुरू हो गया। साल 1912 में एक कन्नड़ सभा का गठन किया गया। इसका मकसद इस दिशा में काम करना था। साल 1936 में इसे कन्नड़ एकीकरण संध नाम दे दिया गया।

भड़क उठी हिंसा
1915 में बैंगलोर में कन्नड़ साहित्य परिष्द का संगठन कर इस एकीकरण आंदोलन को आगे बढ़ाया गया।
इसके बाद 1953 में जब आंध्र प्रदेश की स्थापना हुई तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिला दिए गए। इससे लोगों में हिंसा भड़क उठी।

स्टेट ऑफ मैसूर की स्थापना
आखिरकार सरकार ने भाषा के आधार पर 1 नंवबर 1956 को स्टेट ऑफ मैसूर की स्थापना की। इसमें पूर्व में बॉम्बे राज्य के चार जिलों हैदराबाद राज्य के तीन जिलो, पुराने मद्रास राज्य की एक तालुका और एक जिले, कूर्ग राज्य और मैसूर की सियासत को मिला दिया गया। वर्ष 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ मैसूर से बदल कर कर्नाटक रख दिया गया।

केरल
साल 1956 में इसी दिन केरल को भाषा के आधार पर एक राज्य घोषित किया गया था। इससे पहले मालाबार, कोचीन और ट्रैवनकोर नाम से तीन अलग-अलग प्रांत हुआ करते थे। वास्तव में केरल के एकजुट देखने की स्थानीय लोगों की इच्छा थी, जिसमें सभी लोग मलयालम बोलने वाले हों। इसी बात को ध्यान मे रखकर 1 नवंबर 1956 को केरल राज्य की स्थापना हुई।

 

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