मनपा के ठेके में नेताजी लायजनर!

मुंबई में आबादी को देखते हुए 7 मल जल प्रक्रिया (एसटी प्लांट) केंद्र बनाने की योजना है। जबकि कुलाबा का एसटी प्लांट बनकर कार्यरत हो गया है। ये शहर का एकमात्र एसटी प्लांट है। लेकिन नए एसटी प्लांट का कार्य लटक सकता है क्योंकि ठेका सत्ताधारी दल के मंत्री के खासम-खास बिल्डर को दिया जाना है। इसको लेकर मंत्रालय से मनपा अधिकारियों पर दबाव आ रहा है।

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मुंबई महानगर पालिका का ठेका हमेशा से ही नेता और ठेकेदारों को आकर्षित करता रहा है। इससे होनेवाले फायदे को देखकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और उसके रखरखाव का ठेका पाने के लिए इन दिनों एक बड़ा बिल्डर अपना पूरा जोर लगा रहा है। इस कार्य में उसकी मदद कर रहा है सत्ताधारी दल शिवसेना का एक कद्दावर नेता। इस ठेके को बिल्डर की झोली में डालने के लिए अधिकारियों पर भी दबाव है।

मुंबई में आबादी को देखते हुए 7 मल जल प्रक्रिया (एसटी प्लांट) केंद्र बनाने की योजना है। जबकि कुलाबा का एसटी प्लांट बनकर कार्यरत हो गया है। ये शहर का एकमात्र एसटी प्लांट है। लेकिन नए एसटी प्लांट का कार्य लटक सकता है क्योंकि ठेका सत्ताधारी दल के मंत्री के खासम-खास बिल्डर को दिया जाना है। इसको लेकर मंत्रालय से मनपा अधिकारियों पर दबाव आ रहा है।

दबाव से देर, मनपा भरे दंड

एसटी प्लांट का निर्माण न होने के कारण नालों का पानी सीधे समुद्र में जा रहा है। इस कारण राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने मुंबई मनपा पर 14 अक्टूबर को 43 करोड़ रुपए का अर्थ दंड लगाया है। इसमें से 40 करोड़ रुपए अर्थ दंड और 3 करोड़ रुपया उसका ब्याज है। इस बारे में समाजवादी पार्टी के गट नेता विधायक रईस शेख ने स्थाई समिति की बैठक में मुद्दा भी उठाया था कि 80 आउटफॉल से समुद्र में जानेवाले सीवेज वॉटर पर कोई प्रक्रिया क्यों नहीं की जा रही है? इसके बाद स्थाई समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने एसटी प्लांट के कार्य की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। उन्होंने ये भी आदेश दिया कि अगली बैठक में निविदा में क्यों देरी हुई? उसके पीछे क्या कारण है? इस पर रिपोर्ट पेश किया जाए।
सूत्रों के अनुसार इन सातों परियोजनाओं का खर्च 15 हजार करोड़ रुपए है। लेकिन विलंब के कारण ये 20 हजार करोड़ रुपए तक जा सकता है। इतने बड़े ठेके को लेकर ठाणे का बिल्डर जोड़ जुगाड़ लगा रहा है। वो शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता के संपर्क में है। इस नेता को आनेवाले समय में मुंबई महानगर पालिका की जिम्मेदारी भी दिये जाने की चर्चा है। इस नेता ने अपनी नियुक्ति के पहले ही अपने लोगों की गोटी सेट करने का कार्य शुरु कर दिया है। जानकारों के अनुसार मनपा आयुक्त और अधिकारियों पर ऊपर से आ रहे दबाव के कारण कुछ नाराजगी भी है।

कुलाबा का 37 मीलियन लीटर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शुरू हो चुका है। शेष 7 इस प्रकार हैं…
मालाड      454 मीलियन लीटर
भांडुप       215 मीलियन
घाटकोपर   337 मीलियन लीटर
धारावी      250 मीलियन लीटर
वरली        500 मीलियन लीटर
बांद्रा        360 मीलियन लीटर
वर्सोवा      180 मीलियन लीटर

बिजली बनेगी, शुद्ध जल का उपयोग होगा

मुंबई मनपा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 7 सीवेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और रखरखाव के कार्य के लिए हरित प्राधीकरण के अनुसार निविदा मंगाई जा रही है। इसमें एसटी प्लांट से बिजली निर्माण, सीवेज वॉटर पर प्रक्रिया करके शुद्ध जल का 50 प्रतिशत उपयोग किया जाएगा। जबकि बाकी बचा सीवेज वॉटर शुद्धीकरण करके समुद्र में छोड़ा जाएगा। ऐसी स्थिति में मनपा के सक्षम अधिकारी और सलाहकार इस बारे में अंतिम फैसला लेंगे। लेकिन उन पर पड़ रहे दबाव के कारण ये प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। वैसे अधिकारियों ने आशा व्यक्त की है कि नवंबर या दिसंबर के पहले सप्ताह तक इसकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

दो निविदाएं हो चुकी हैं रद्द

इस कार्य के लिए पहले भी दो निविदा रद्द हो चुकी हैं। मनपा आयुक्त संजय मुखर्जी के कार्यकाल में पहली निविदा मंगाई गई थी। लेकिन इसे ठेकेदारों का कोई प्रतिसाद न मिला और हरित प्राधीकरण के सुधारित नियमों के कारण फिर से निविदा अमंत्रित की गई। दूसरी निविदा तत्कालीन आयुक्त प्रवीण दराडे के कार्यकाल में पूरी हो गई थी। लेकिन शिवसेना और भाजपा में विवाद के चलते इसे सत्ताधारी दल के प्रमुख के आदेश पर रद्द कर दिया गया। इसके बाद एक बार फिर निविदा मंगाई गई है। अप्रैल 2020 में इस कार्य की निविदा आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन दिया गया था। अगस्त 2020 में इसकी निविदा मंगाई गई।

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