आपके मसाले में जहर तो नहीं!

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देश में मिलावटखोरों पर नकेल कसने के लिए कड़े से कड़े कानून बनाए गए हैं। छापेमारी का सिलसिला भी जारी रहता है। इसके बावजूद मिलावटखोर हैं कि मानते नहीं। कानून और नैतिकता को ताक पर रखकर वे लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसलिए अगली बार जब अब मसाले खरीदने जाएं तो उसमें पूरी सावधानी बरतें। खतरनाक मिलावट का ताजा मामला उत्तर प्रदेश मे देखने को मिला है। प्रदेश के हाथरस पुलिस ने नकली मसाले बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा किया है। इस फैक्ट्री में गधे के गोबर, एसिड और भूसे में रंग मिलाकर मसाले बनाए जा रहे थे। इस मामले में फैक्ट्री मालिक अनूप वार्ष्णेय को गिरफ्तार किया गया है।

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300 किलो नकली मसाले जब्त
पुलिस ने बताया कि फैक्ट्री से 300 किलो नकली मसाले जब्त किए गए हैं। इन मसालों के पैकेट पर लोकल ब्रांड का नाम लिखा था। छापेमारी के दौरान काफी ऐसे सामान मिले हैं, जिनसे मसाले तैयार किए जाते थे। मसालाों में गधे के गोबर, एसिड, भूसा और हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा था। मौका-ए-वारदात से एसिड ड्रम भी मिले हैं। जो मिलावटी मसाले बरामद किए गए हैं, उनमें धनिया पाउडर, लाला मिर्च पाउडर, हल्दी, गरम मसाला, शामिल हैं। पुलिस की टीम ने सारे मसाले जब्त कर लिए हैं और उसके 27 सेंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। फैक्ट्री मालिक के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अनूप वार्ष्णेय को सीआपीसी 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

बिना लाइसेंस के चल रही थी फैक्ट्री
बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री को चलाने का लाइंसेस भी नहीं था और इसे गैरकानूनी तरीके से चलाया जा रहा था। आरोपी अनूप लाइसेंस लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मानक में गड़बडी के कारण लाइसेंस लेने में अड़चनें आ रही थीं। इसके साथ ही फैक्ट्री के ब्रांड का भी रजिस्ट्रेशन नहीं था और गैरकानूनी रुप से नाम देकर उसे पैक कर बेचा जा रहा था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि वह किन-किन शहरों में मसाले की सप्लाई करता था।

कानून सख्त लेकिन लचर

  • खाद्य पदार्थों में मिलावट पर रोक के लिए देश के सभी प्रदेशों में आवश्यक कानून बनाए गए हैं। इसके साथ ही भारत सरकार ने एकरुपता लाने के लिए 1954 में प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्टेरेशन ऐक्ट के तहत समस्त देश में कानून लागू किया और 1955 में इसके अंतर्गत आवश्यक नियम बनाकर जारी किए। इस कानून के मुताबिक मिलावट तथा गलतत नाम से खाद्य पदार्थों को बेचना दंडनीय है।
  • अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मिलावट को गंभीर मुद्दा बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को फूड एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 को प्रभावी तरीके से लागू करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य की फूड सेफ्टी अथॉरिटी अपने इलाके में मिलावट के हाई रिस्क क्षेत्र घोषित करे और त्यौहार वगैरह के दौरान ज्यादा सैंपल ले। साथ ही राज्य के फूड सेफ्टी अथॉरिटी यह तय करे कि इलाके में पर्याप्त मान्यता प्राप्त लैब हों।
  • बाद में 2018 में इस कानून में सुधार किया गया और खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने पर उम्रकैद तथा 10 लाख तक जुर्माने का प्रावधान किया।
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