गुजरात में ‘लंगर’ डालनेवालों का खेल खतम!

राज्य तेजी से विकास कर रहा है। औद्योगिक विकास के कारण जमीन के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जब जमीन के दाम बढ़े को अवैध रूप से कब्जा करनेवालों की संख्या बढ़ गई। राज्य में अब भूखंड माफिया बड़े स्तर पर सक्रिय है जो बड़े प्लॉट पर अपने दबंगों को बैठा देते हैं।

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गुजरात में अब दूसरे की जमीन पर बुरी नजर रखनेवालों की खैर नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार ने कड़ा कानून बनाया है। जिसके अंतर्गत भूखंडों पर जोर-जबरदस्ती लंगर डालनेवालों को आजीवन कारावास की सजा भुगतनी पड़ सकती है।

राज्य तेजी से विकास कर रहा है। औद्योगिक विकास के कारण जमीन के दामों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। जब जमीन के दाम बढ़े को अवैध रूप से कब्जा करनेवालों की संख्या बढ़ गई। राज्य में अब भूखंड माफिया बड़े स्तर पर सक्रिय है जो बड़े प्लॉट पर अपने दबंगों को बैठा देते हैं। ऐसे लोगों को जेल पहुंचाने के लिए सरकार ने गुजरात लैंड ग्रैबिंग (प्रोहिबिशन) एक्ट 2020 पास किया था। इसे राज्यपाल से भी 8 अक्तूबर 2020 को मंजूरी मिल गई है। यह कानून अब अस्तित्व में आ गया है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने की।

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क्या है लंगर डालना?

गुजरात में विकास के साथ जमीनों के दाम तेजी से बढ़े हैं। इसके कारण राज्य में दबंगों ने महंगे भूखंडों को हथियाना शुरू कर दिया। लेकिन इन दबंगों में एक दूसरा वर्ग भी है जो भूखंड न खरीदता है, न बेचता है वो बड़ी कीमतवाले भूखंडों पर सिर्फ अवैध कब्जा कर लेता है। इसे गुजरात में ‘लंगर’ डालना कहते हैं। दबंग अपना लंगर हटाने के लिए भूखंड मालिक से अच्छी खासी कीमत वसूलते हैं जो भूखंड की बाजार कीमत को देखकर तय की जाती है।

सरकार की मंशा

राज्य सरकार की कानून बनाने के पीछे मंशा है कि छोटे किसान, मध्यमवर्गीय भू मालिकों और सामान्य जनता के भूखंडों की रक्षा के लिए एक सुरक्षा जैकेट प्रदान किया जाए। इसके लिए सरकार ने कड़ा कानून बनाया है। गुजरात लैंड ग्रैबिंग (प्रॉहिबिशन) एक्ट 2020 के अंतर्गत यदि कोई भी दोषी पाया जाता है तो उसे 10 वर्ष से 14 वर्ष की सजा हो सकती है। इसके अलावा भूखंड के जंत्री (सरकारी मूल्य) के अनुपात में आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।

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कानून कैसे करेगा काम?

  • अवैध कब्जे की जांच के लिए सभी जिले 7 सदस्यीय समिति का गठन
  • शिकायतकर्ता को प्रमाण के रूप कागजात लेकर जाना होगा
  • 15 दिनों में संबंधित शिकायत पर जांच रिपोर्ट
  • शिकायत सही होने पर पुलिस को सौंपा जाएगा मामला
  • जिले में विशेष न्यायालय करेगी सुनवाई
  • 6 महीने में मामलों पर आएगा फैसला
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