Varanasi: ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट को लेकर कोर्ट ने दिया यह आदेश

एएसआई ने 24 जनवरी को ही सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी दाखिल की। वर्ष 1991 से ज्ञानवापी का मूल विवाद यहीं पर चल रहा है।

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ज्ञानवापी मस्जिद

Varanasi: वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश(Varanasi District Judge Dr. Ajay Krishna Vishvesh) की अदालत ने 24 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर(Gyanvapi premises) की एएसआई सर्वे की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी(Hard Copy of ASI Survey Key Report) मामले के दोनों पक्षों को उपलब्ध कराने का आदेश(Order to make available to both parties) दिया। एएसआई(ASI0 ने 18 दिसंबर को जिला अदालत(District Court0 में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल(File the report in a sealed envelope) की थी। वादी हिंदू पक्ष(Hindu Party) ने उसी समय रिपोर्ट की हार्ड कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की थी, लेकिन प्रतिवादी पक्ष की आपत्ति(Defendant’s objection) और एएसआई टीम के चार हफ्ते तक रुकने के अदालत से आग्रह करने पर रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सकी थी।

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इस बात पर बनी सहमति
वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के अनुसार जिला अदालत ने दोनों पक्षों को सुना और सहमति बनी कि एएसआई रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को दी जाएगी। एएसआई ई-मेल के माध्यम से रिपोर्ट देने पर आपत्ति जता रही थी, इसलिए दोनों पक्ष रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्राप्त करने पर सहमत हुए। नकल के लिए दोनों पक्ष कोर्ट में आवेदन देंगे। वादी पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अदालत ने रिपोर्ट देने के लिए मौखिक आदेश दे दिया है। लिखित आदेश भी जल्द आ जाएगा। इसके बाद उनकी तरफ से रिपोर्ट की नकल के लिए प्रार्थना पत्र दिया जाएगा।

रिपोर्ट को मीडिया से शेयर न करने का निर्देश
अदालत में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष की ओर से उनके अधिवक्ता ने कहा कि पक्षकारों को यह निर्देशित किया जाए कि रिपोर्ट को मीडिया एवं सोशल मीडिया पर शेयर न किया जाए। इसके संदर्भ में पक्षकारों से शपथ पत्र भी लिया जाए। इस पर वादी हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सभी लोग ज्ञानवापी की वास्तविकता से अवगत होना चाहते हैं। इस पर किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए।

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सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में दाखिल
एएसआई ने 24 जनवरी को ही सर्वे रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी दाखिल की। वर्ष 1991 से ज्ञानवापी का मूल विवाद यहीं पर चल रहा है। उल्लेखनीय है कि 18 दिसंबर को एएसआई के अधिवक्ता ने कहा था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करनी है इसलिए रिपोर्ट सार्वजनिक अभी नहीं किया जाए। एएसआई के आग्रह पर ही अदालत ने रिपोर्ट के सार्वजनिक करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 24 जनवरी तक के लिए टाल दी थी। एएसआई ने लगभग दो हजार पन्नों की यह रिपोर्ट अदालत में सील बंद लिफाफे में दाखिल की है।

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