Beating Retreat Ceremony: बीटिंग रिट्रीट समारोह में “ज्योस्तुते जयोस्तुते” की गूंज

'बीटिंग रिट्रीट' की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई थी। भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने स्वदेशी तौर पर एक सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन की अनूठी परंपरा विकसित की और तभी से यह परंपरा शुरू हुई।

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Beating Retreat Ceremony: आज विजय चौक ((Vijay Chowk)) पर आयोजित “बीटिंग रिट्रीट” समारोह में स्वातंत्र्य वीर सावरकर (Swatantra Veer Savarkar) द्वारा लिखित गीत “जयोस्तुते जयोस्तुते” (Jyostute Jyostute) बजाया गया। 75वें गणतंत्र दिवस समारोह का समापन सोमवार को बीटिंग रिट्रीट के साथ हुआ। गाना एक सैन्य बैंड द्वारा बजाया गया और भीड़ ने खुशियां मनाईं। समारोह का समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मौजूदगी में हुआ। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) और कई केंद्रीय मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी और आम नागरिक मेगा इवेंट में भाग लिए।

देशभक्ति के सुर में डूबा रायसीना हिल्स
रायसीना हिल्स (विजय चौक) पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी शुरू होने के बाद सेना और अर्धसैनिक बलों (Army and paramilitary forces) की टुकड़ियों ने भारतीय राष्ट्रगान बजाया। इसमें रघुपति राघव राजाराम, ऐ मेरे वतन के लोगों, राष्ट्रगान और बैंड द्वारा बजाई गई अन्य धुनें शामिल थीं। सैनिक डूबते सूरज के साथ भारतीय धुनें बजा रहे थे। भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के बैंड ने मंत्रमुग्ध कर देने वाले गाने बजाए। रायसीना हिल्स क्षेत्र सैन्य और अर्धसैनिक बैंडों द्वारा बजाई गई भावपूर्ण और भावपूर्ण भारतीय धुनों के साथ देशभक्ति के सुर में डूबा हुआ था।

मास बैंड के ‘शंखनाद’ से हुई शुरुआत
सशस्त्र सेना अध्यक्ष और सुप्रीम कमांडर द्रौपदी मुर्मू पारंपरिक ‘बग्गी’ में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं जो आकर्षण का केंद्र रही। राष्ट्रपति का बग्गी से आगमन अतीत की याद दिलाने जैसा था। यह परंपरा 1950 के दशक से चली आ रही है।
कार्यक्रम की शुरुआत मास बैंड के ‘शंखनाद’ से हुई, जिसके बाद ‘वीर भारत’, ‘संगम दर’, ‘देश का सरताज भारत’, ‘भागीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसे मंत्रमुग्ध कर देने वाले पाइप और ड्रम बैंड पेश किए गए। लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी इस समारोह के मुख्य आयोजक रहे।

बीटिंग रिट्रीट का राज
‘बीटिंग रिट्रीट’ की शुरुआत 1950 के दशक की शुरुआत में हुई थी। भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने स्वदेशी तौर पर एक सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन की अनूठी परंपरा विकसित की और तभी से यह परंपरा शुरू हुई। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है जब सैनिक लड़ना बंद कर देते हैं, अपने हथियार डाल देते हैं, युद्ध के मैदान से पीछे हट जाते हैं और सूर्यास्त के समय पीछे हटने की आवाज पर शिविर में लौट आते हैं।

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