वाह रे प्रताप! साहब को खुश करने के लिए क्या-क्या न किया?

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रिपोर्टः सुशांत सावंत

मुंबई। राजनीति में “साहब” के खास बनने की चाहत तो पार्टी के सभी मंत्रियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं की होती है, इसके बावजूद हर कोई उनका खास नहीं बन पाता। दरअस्ल राजनीति की नीति ही यही है।”साहब” के खास बन गए तो सब सध गए। रहीम ने कहा है, “एक ही साधे सब सधै, सब साधे सब जाए”। कहने का मतलब यह है कि एक लक्ष्य रखकर आगे बढ़ो, बाकी आपकी इच्छाएं तो अपने आप पूरी हो जाएंगी। सियासित करनेवालों के लिए भी यह जीवन मंत्र हो सकता है। “साहब” को साध लो, बाकी आपकी साध तो अपने आप पूरी हो जाएंगी। फिलहाल हम बात कर रहे हैं, शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक की। पिछले काफी दिनों से वे शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के”गुड बुक” में आने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लगता नहीं है कि उन्हें इस दिशा में एक इंच भी सफलता मिल पाई है। इसके बावजूद कोशिश करते रहने में कोई हर्ज नहीं है। इसलिए वे बीच-बीच में “साहब” को खुश करने के लिए वे कोई न कोई बयान देते रहते हैं।
“हाथरस कांड की जांच के लिए मुंबई पुलिस को भेजो”
ताजा मामला यूपी के हाथरस गैंगरेप कांड का है। इस मामले में प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ पर चौतरफा हमले तो हो ही रहे हैं, वहां की पुलिस और कानून- व्यवस्था पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। भला इस मौके को प्रताप सरनाईनक कैसे छोड़ते। तो उन्होंने कहा है कि मुंबई में अपराध दर्ज कर यहां की पुलिस को हाथरस कांड की जांच करने के लिए हाथरस में भेज दो। यह प्रताप सरनाईक की बुद्धि का ही प्रताप है कि उनके दिमाग का घोड़ा इतना तेज दौड़ता है। सुशांत सिंह राजपूत केस में देश भर में छीछालेदर झेल रही मुंबई पुलिस से जोड़कर दिए गए उनके बयान से “साहब कितने खुश हुए ये तो अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन इस तरह के बयान को लेकर सरनाईक की मीडिया में जरुर चर्चा हो रही है। सुशांत मामले में बिहार का संबंध था। वे बिहार, पटना के रहनेवाले थे, इसलिए पटना में एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन हाथरस कांड का मुंबई से कोई संबंध नहीं है। इसलिए इस तरह के उनके बयान का कोई मतलब नहीं निकलता है और उनका यह बयान मात्र “साहब” को खुश करने के लिए दिया गया माना जा रहा है।
कंगना को दी थी मुंह तोड़ देने की धमकी
इससे पहले चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत को लेकर भी उन्होंने गैरजिम्मेदाराना बयान देकर “साहब” को खुश करने की कोशिश की थी। सरनाईक ने इस मामले में शिवसेना की भूमिका की तरफदारी तो की ही थी, साथ ही जोश में कंगना का मुंह तोड़ देने का बयान देकर भी मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने कहा था कि शिवसेना सांसद सजय राउत ने कंगना को काफी सभ्य तरीके से जवाब दिया है,अगर वो मुंबई आती है तो शिवसेना की महिला कार्यकर्ताएं उसका मुंह तोड़े बिना नहीं रहेंगी। हम आपको बता दें कि कंगना ने मुंबई पुलिस पर अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे और यहां की तुलान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर( पीओके) से की थी। इस वजह से शिवसेना के मंत्री-नेता उनसे काफी नाराज हो गए थे। इसी मामले में शिवसेना विधायक और उद्योगपति प्रताप सरनाईक ने कंगना को लेकर यह बात कही थी।
अर्णब के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की मांग
सितंबर में समाप्त हुए महाराष्ट्र विधान मंडल के मॉनसून सत्र में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक का आक्रामक रुख देखने को मिला था। उन्होंने विधान भवन में रिपब्लिक भारत के एंकर-प्रमोटर अर्णब गोस्वामी के विरोध में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अर्णब गोस्वामी दुष्ट प्रवृत्ति का इंसान है और वह हमेशा ही गलतबयानी करता है। सुशांत सिंह राजपूत मामले से महाराष्ट्र के किसी नेता का कोई संबंध नहीं है और अर्णब गोस्वामी प्रेस की आजादी का फायदा उठाकर बेमतलब की बातें कर रहा है। वह मनगढ़ंत खबरें देकर इस मामले में लोगों को भ्रमित कर रहा है। इसलिए रिपब्लिक भारत टीवी चैनल बंद करा देना चाहिए। यही नहीं, उन्होंने मराठी वास्तुविद् अन्वय सावंत की आत्महत्या के मामले में अर्णव गोस्वामी की जांच कराने की मांग भी की थी। इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया था। हम आपको बता दें कि सुशांत मामले में राज्य के पर्यावरण मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का नाम  लिया जा रहा था। इसलिए माना जा रहा है कि सरनाईक इस तरह की बातें कर “साहब” को खुश करने की कोशिश कर रहे थे।
प्रताप सरनाईक कौन हैं?
वर्तमान में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने अपने राजनैतिक करियर की पारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से शुरू की थी। लेकिन नवंबर 2008 में उन्होंने शिवसेना का दामन थाम लिया । उसके बाद शिवसेना के टिकट पर 2009,2014 और 2019 में विधान सभा चुनाव में जीत दर्ज की। 2019 में महाविकास आघाड़ी सत्ता में तो आई लेकिन उन्हें मंत्री पद से वंचित रखा गया। तीन बार विधायक चुनकर आने के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने का कारण उनका “साहब” के गुड बुक में न होना माना जा रहा है।

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