विधान सभा में भिड़ गए चाचा-भतीजा ?

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बिहार में नई सरकार के गठन के साथ ही ड्रामा भी रंग गया है। आरोपों के अनुसार लालू प्रसाद जेल से ही जेडीयू-बीजेपी का खेल करने की कोशिश में थे तो अब विधान सभा में नेता विपक्ष और सीएम के बीच ठन गई। सीएम ने भतीजा बताते हुए सदन में वो रूप दिखाया कि बाहर जनता बोल पड़ी भिड़ गए चाचा-भतीजा।

बिहार विधानसभा में राज्यपाल फागू चौहान के अभिभाषण पर चर्चा चल रही थी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस चर्चा में हिस्सा लेते हुए बोल रहे थे उनके संबोधन में चुनाव के दौरान किये गए कटाक्षों पर गरमा-गरम बहस रंग गई। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर एक चुनावी सभा में लालू प्रसाद यादव के बच्चों पर की गई टिप्पणी को लेकर हमला बोल दिया। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक बेटे हैं, है या नहीं, ये तो वही बताएंगे। किसी मुख्यमंत्री को कितना शोभा देता है किसी के बच्चे गिनने में। इस बार भी जनादेश की चोरी हुई है, चोर दरवाजे से सरकार आई है। इसके अलावा सीएम पर 1991 में लगे हत्या के आरोप और कंटेंट चोरी के मामले में 25 हजार रुपए के अर्थ दंड का भी जिक्र किया। इस बीच हो-हल्ला भी होता रहा।

…और सीएम ने खूब खरी खोटी सुनाई

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने संबोधन में शुरू से ही तेजस्वी यादव पर क्रुद्ध दिखे। उन्होंने कहा कि, जो बात ये बोल रहा है उसकी जांच होनी चाहिए और इसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है, इसीलिए मैं सुनता रहता हूं। इसके पिता को विधायक दल का नेता किसने बनाया था क्या इसको पता है? इसको उप-मुख्यमंत्री किसने बनाया था इसको पता है ? इसके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा तो हमने उससे कहा कि जवाब दो, मगर जब जवाब नहीं दिया तो हम अलग हो गए। हम कुछ नहीं बोलते हैं। तेजस्वी पर चार्जशीट है। 2017 में क्यों नहीं स्थिति स्पष्ट किया था ? ”

क्या है हत्या का मामला?

दरअसल, 16 नवंबर 1991 को पंडारक संसदीय क्षेत्र के ढीबर गांव में एक हत्या हो गई थी। इसमें ग्रामीण सीताराम सिंह की गोली मारकर हत्या की गई थी। यह हत्या मध्यावधि चुनाव प्रक्रिया के बीच हुई थी। इस मामले में 2009 में मृतक के भाई ने कोर्ट में याचिका दायर करके नीतीश कुमार को अभियुक्त बनाने की मांग की थी। कोर्ट ने यह याचिका स्वीकार करते हुए केस चलाने की अनुमति दे दी। लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था जिस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

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