Jammu and Kashmir से जुड़े इन दो विधेयकों को मिली संसद की मंजूरी, अमित शाह ने दी जानकारी

गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों विधेयकों को पारित किए जाने के लिए 11 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया। जिस पर कई सदस्यों ने चर्चा के दौरान अपने विचार रखे।

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राज्यसभा(Rajya Sabha) ने 11 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर(Jammu and Kashmir) से जुड़े दो विधेयक ध्वनिमत से पारित(Two bills passed by voice vote) कर दिए। इसके साथ ही इन्हें संसद की मंजूरी मिल गई। इन दो विधेयकों को लोकसभा(Lok Sabha) पहले ही पारित कर चुकी है।

गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों विधेयकों को पारित किए जाने के लिए 11 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया। जिस पर कई सदस्यों ने चर्चा के दौरान अपने विचार रखे। चर्चा के बाद राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023(Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill-2023) और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित कर दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने विधेयकों को लेकर किया स्पष्ट
गृह मंत्री ने चर्चा से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाए गए जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयक पिछले 75 वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित लोगों को न्याय देंगे और कहा कि विस्थापित लोगों को आरक्षण देने से उन्हें विधायिका में आवाज मिलेगी।

गृहमंत्री के जवाब देने के दौरान विपक्ष ने संसद से किया बाहिर्गमन 
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। अधिनियम अनुसूचित जाति जातियां, अनुसूचित जनजातियां और अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।

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1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधान सभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया था। इसमें अनुसूचित जाति के लिए छह सीटें आरक्षित की गईं थी। अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। वर्तमान विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई है। यह अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित करता है।

विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं।

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