West Bengal: माकपा के जमाने में अवैध तरीके से कॉलेज अध्यक्ष बने थे माणिक, ऐसे हुआ पर्दाफाश

यूजीसी के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कॉलेज का अध्यक्ष बनने के लिए स्नातकोत्तर स्तर पर कम से कम 55 प्रतिशत अंक प्राप्त करने चाहिए।

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West Bengal: प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और पलाशीपाड़ा के तृणमूल विधायक माणि भट्टाचार्य(Trinamool MLA Manik Bhattacharya) पर फिर से अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप(Accused of being involved in illegal activities) लगाया गया है। इस बार उन पर आरोप है कि वे अवैध तरीके से कॉलेज के अध्यक्ष बनाए गए थे, वो भी 1998 में। उस समय राज्य में वाममोर्चा की सरकार(Left Front or Govt) थी।

शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार
ईडी(ED) ने शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले(Teacher Recruitment Corruption Case) में माणिक को गिरफ्तार किया है। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत(Judicial Custody) में हैं। माणिक लंबे समय तक योगेशचंद्र चौधरी लॉ कॉलेज, कोलकाता (Yogeshchandra Chaudhary Law College, Kolkata)के प्रिंसिपल रहे। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से यह पता लगाने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था कि क्या उन्हें नियमों के अनुसार इस पद पर नियुक्त किया गया था। यूजीसी ने सोमवार को हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि माणिक की नियुक्ति नियमानुसार प्रिंसिपल या अध्यक्ष के पद पर नहीं की गयी है।

पीएचडी या समकक्ष योग्यता जरुरी
यूजीसी(UGC) के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कॉलेज का अध्यक्ष बनने के लिए स्नातकोत्तर स्तर पर कम से कम 55 प्रतिशत अंक प्राप्त करने चाहिए। पीएचडी या समकक्ष योग्यता होनी चाहिए। इसके अलावा, किसी कॉलेज, विश्वविद्यालय या किसी उच्च शिक्षा संस्थान में 15 साल का शिक्षण अनुभव आवश्यक है। यूजीसी ने हलफनामे में कहा कि ये सभी योग्यताएं नहीं होने के बावजूद माणिक अध्यक्ष बने।

न्यायमूर्ति गांगुली वर्तमान में जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में इस मामले की सुनवाई की है। अगले सप्ताह उनके कोलकाता लौटने पर मामले की सुनवाई होगी।

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