महाराष्ट्र के खिलाड़ियों से समाप्त हो अन्याय, जारी हो नया सरकारी परिपत्र

महाराष्ट्र में खिलाड़ियों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ न मिल पाने की व्यथा बहुत पुरानी है। जिसे दूर करने के लिए सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की गई है।

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रणजीत सावरकर राहुल शेवाले

महाराष्ट्र में खिलाड़ियों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर लोकसभा में शिवसेना गुट के नेता राहुल शेवाले और महाराष्ट्र बॉक्सिंग असोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने मांग की है कि, राज्य सरकार इस विषय में नया सरकारी परिपत्र (जीआर) जारी करे। सरकार द्वारा वर्ष 2016 में निकाले गए परिपत्र में त्रुटि के कारण खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी प्राधान्यता नहीं मिल पा रही है।

महाराष्ट्र सरकार के खेल विभाग ने वर्ष 2016 में सरकारी परिपत्र (जीआर) जारी किया था, जिसके अनुसार खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में 5 प्रतिशत आरक्षण दिने का प्रावधान था। लेकिन इस परिपत्र में ‘युवा’ का कोई उल्लेख नहीं है। जिसके कारण युवा खिलाड़ियों इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। खिलाड़ियों को होनेवाली इस हानि से बचाने और आरक्षण की सुविधा दिलाने के लिए सांसद राहुल शेवाले और महाराष्ट्र बॉक्सिंग असोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत सावरकर ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। इसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि, तत्काल सरकार नया सुधारित परिपत्र निकाले, जिससे भूल का सुधारा जा सके।

सरकारी उदासीनता
रणजीत सावरकर ने कहा कि, महाराष्ट्र में खेलों के प्रति काफी उदासीनता है, इससे खिलाड़ियों को बड़ी क्षति हो रही है। युवा खिलाड़ियों के लिए सरकार के निर्णय में कोई आरक्षण न होने से खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में है। उन्हें सरकारी नौकरियों से वंचित रहना पड़ा है। सरकार के परिपत्र में ‘युवा’ शब्द न होने के कारण पुलिस भर्ती या सरकारी भर्तियों में पांच प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि, महाराष्ट्र सरकार को इसके लिए उचित निर्णय लेना चाहिए और नई सरकारी नीति बनाकर खिलाड़ियों के नुकसान को रोकना चाहिए।

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दादर स्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक मे आयोजित प्रेस वार्ता में, सरकारी उदासीनता को दूर करके महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और खेल मंत्री गिरीश महाजन को पहल करनी चाहिए और परिपत्र के माध्यम से आरक्षण के प्रावधान में ‘युवा’ शब्द को शामिल किया जाना चाहिए, ऐसी मांग की गई।

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