समुद्री संसाधनों का पता लगाने ‘मत्स्य 6000’ का परीक्षण मार्च 2024 में, तीन लोगों को 6000मीटर गहराई में ले जाएगी पनडुब्बी

समुद्रयान परियोजना का उद्देश्य गहरे समुद्री संसाधनों का अध्ययन और जैव विविधता का मूल्यांकन करने के लिए तीन कर्मियों को एक पनडुब्‍बी में 6000 मीटर की गहराई तक भेजना है। राज्यसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया कि इस परियोजना से पारिस्थितिकी तंत्र में कोई बाधा उत्‍पन्‍न नहीं होगी, क्योंकि पनडुब्बियों का उपयोग संसाधनों के अन्‍वेषण के लिए किया जाता है।

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समुद्र की गहराई और वहां छुपे संसाधनों का पता लगाने के लिए भारत पहला समुद्री मिशन शुरू करने जा रहा है। इसके तहत एक पनडुब्बी तीन व्यक्तियों को लेकर समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक जाएगी। राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि भारत जल्द ही अपने पहले महासागर मिशन समुद्रयान के तहत मानवयुक्त पनडुब्बी को गहरे समुद्र में भेजने जा रहा है। इस पनडुब्बी का नाम ‘मत्स्य 6000’ रखा गया है, जिसके पहले स्टेज का परीक्षण अगले साल मार्च तक हो जाएगा।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि समुद्रयान परियोजना का उद्देश्य गहरे समुद्री संसाधनों का अध्ययन और जैव विविधता का मूल्यांकन करने के लिए तीन कर्मियों को एक पनडुब्‍बी में 6000 मीटर की गहराई तक भेजना है। राज्यसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया कि इस परियोजना से पारिस्थितिकी तंत्र में कोई बाधा उत्‍पन्‍न नहीं होगी, क्योंकि पनडुब्बियों का उपयोग संसाधनों के अन्‍वेषण के लिए किया जाता है।

रिजिजू ने सदन को सूचित किया कि डीप ओशन मिशन देश के जीडीपी में वृद्धि करने की क्षमता वाली सरकार की नीली अर्थव्‍यवस्‍था नीति की सहायता करता है और देश की आर्थिक वृद्धि, बेहतर आजीविका और नौकरियों तथा महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र के मजबूत स्थिति के लिए समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग की परिकल्पना करता है।

गौरतलब हो कि केंद्र सरकार की समुद्री मिशन ब्लू इकोनॉमी पहल के तहत मानव का समुद्र की गहराइयों में जाकर गहरे समुद्र में संसाधनों और जैव विविधता पर रिसर्च करना है।,

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