आ गई नसबंदी!

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आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी से देश के साथ मुंबईकर भी त्रस्त हैं। इसके मद्देनजर मुंबई के सभी सातों परिमंडलों में कुत्तों की आबादी कंट्रोल करने के लिए उनकी नसबंदी करने का अभियान तेज कर दिया गया है। इसके लिए सभी परिमंडलों में एक-एक दस्ते का गठन किया गया है। इसका जिम्मा एक निजी संस्था को दिया गया है। संस्था की ओर से एक कुत्ता पकड़कर नसबंदी के लिए लाने पर 680 रुपए दिया जाएगा।

आबादी नियंत्रित करने के लिए नसबंदी
बता दें कि मुंबई में आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए उनकी नसबंदी की जाती है। नसबंदी करने के बाद उन्हें फिर से उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़कर लाया जाता है। वर्ष 2014 से महानगरपालिका संस्था के माध्यम से आवारा कुत्तों की नसबंदी कराती है। तब से अब तक कुल 90 हजार 703 आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई है।

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30 फीसदी आवारा कुत्तों की नसबंदी जरुरी
भारतीय प्राणी कल्याण मंडल द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार प्रत्येक वर्ष 30 फीसदी आवारा कुत्तों की नसबंदी करना आवश्यक है। इस हिसाब से मुंबई में 34 हजार 955 कुत्तों की नसबंदी किया जाना है। इसके लिए प्रत्येक परिमंडल में एक दस्ते का गठन किया गया है। इसके तहत कुत्तों की नसबंदी के साथ ही रेबीज का टीका भी लगाया जाता है। इसके लिए आरती कॉर्पोरेशन संस्था को नियुक्त किया गया है। इस संस्था को 34 हजार 955 कुत्तों को पकड़ने के लिए 2 करोड़ 37 लाख 11 हजार 920 रुपए दिया जाएगा। यह कॉन्ट्रैक्ट दो साल के लिए दिया गया है।

विभाग में मैन पॉवर की कमी
देवनार पशुगृह व पशुवैद्यकीय आरोग्य विभाग के महाप्रबंधक डॉ. योगेश शेट्ये ने कहा है कि मनपा के पास कुत्ता नियंत्रण विभाग में कुत्तों को पकड़नेवाले कर्मचारियों के 50 फीसदी पद रिक्त हैं। इसका असर आवारा कुत्तों को  लेकर आ रही लोगों की शिकायतों के समाधान पर पड़ता है। अब तक की नसबंदी के आंकड़े को देखने से पता चलता है कि निजी संस्थाओं द्वारा हर साल अतिरिक्त 17 हजार कुतों की नसबंदी करना जरुरी है। इसके लिए संस्थाओं से निविदा मंगाई गई थी। उसके कौटेशन के आधार पर आरती कॉर्पोरेशन नामक संस्था को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। कुत्तों को पकड़ने के लिए प्रशिक्षित कामगारों को भी नियुक्त किया गया है।

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