‘सरनाईक’ के सिरदर्द का कारण?

प्रवर्तन निदेशालय क्या है? यह लंबे समय से महाराष्ट्रवासी भूल गए थे। लेकिन सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद केंद्र की तीन एजेंसियों ने जिस प्रकार से जांच शुरू की उससे प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का स्मरण फिर से ताजा हो गया।

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शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ईडी के स्कैनर पर हैं। उन पर राज्य सरकार की संसाधन विकास एजेंसी एमएमआरडीए के साथ सुरक्षा रक्षक प्रदाता कंपनी द्वारा किए गए गोलमाल में संलिप्तता का आरोप है। इसको लेकर सरनाईक को जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए समन जारी किया गया है।

प्रवर्तन निदेशालय क्या है? यह लंबे समय से महाराष्ट्रवासी भूल गए थे। लेकिन सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद केंद्र की तीन एजेंसियों ने जिस प्रकार से जांच शुरू की उससे प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का स्मरण फिर से ताजा हो गया। ईडी की जांच के घेरे में अब शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक हैं।

क्या है मामला?

2014 में एमएमआरडीए और टॉप्स सिक्युरिटी के बीच लगभग 500 सुरक्षा रक्षक उपलब्ध कराने का करार हुआ था। लेकिन आरोप है कि टॉप्स ग्रुप ने मात्र 70 प्रतिशत सुरक्षा रक्षक ही उपलब्ध कराए लेकिन भुगतान 100 प्रतिशत क्षमता के अनुसार लिए। इस कार्य को संकेत मोरे और अमित चंडोले ने किया। आरोपों के अनुसार इसके बदले इन दोनों को राहुल नंदा की ओर से अतिरिक्त भुगतान का 50 प्रतिशत मिलता था। इसके अलावा प्रतिमाह 50 हजार रुपए और प्रति सुरक्षा रक्षक 500 रुपए दिये जाते थे। ये जानकारियां ईडी द्वारा न्यायालय में पेश सबूतों के आधार हैं। ईडी का आरोप है कि कुल लाभ का 50 प्रतिशत विधायक प्रताप सरनाईक को दिया जाता था। अमित चांडोले को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में अमित ने प्रताप सरनाईक के बारे में ये खुलासा किया है।

 

 

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