क्या मेवात-मणिपुर हिंसा की एक ही है टूलकिट? पाकिस्तानी सीमा भाभी को किसने प्लांट किया? पढ़िये इतिहासकार कपिल कुमार की जुबानी

मेवात से मणिपुर हिंसा की कहानी कब से शुरू हुई इसके पीछे कौन है। इतिहासकार कपिल कुमार ने देश की समस्याओं और देश के विरुद्ध षड्यंत्र रचनेवालों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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कपिल कुमार

हिंदुस्थान पोस्ट से चर्चा में सुप्रसिद्ध इतिहासकार और ऐतिसाहिक म्यूमियम के निदेशक, शिक्षाविद् कपिल कुमार ने वर्तमान की हिंसात्मक घटनाओं के पीछे किसका हाथ है, इस पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाश डाला। कपिल कुमार ने मेवात, नूंह में हो रही हिंसात्मक गतिविधियों और मणिपुर की घटना के बीच साम्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने पाकिस्तान से चार बच्चे लेकर आई सीमा हैदर को भारत में भेजने के पीछे के उद्दश्यों पर प्रकाश डाला। ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत है कपिल कुमार का राष्ट्र हितैषी विस्फोटक साक्षात्कार…

मेवातिस्तान की मांग करनेवालों को छुड़ाया
भारत ही एक ऐसा देश है जहां देश का विभाजन होने के बाद भी मुस्लिम लीग के लोगों को रहने दिया गया। वे लगातार देश में रहे और संविधान सभा में हिस्सा लेते रहे हैं और संविधान पर दस्तखत करके पाकिस्तान में चले गए। मेवात की बात करें तो 1947-48 में एक मांग उठी थी मेवातिस्तान की। यह मांग उठाने वालों का नेता अब्दुल्ला नामक एक व्यक्ति था। उस समय पंजाब के प्रधानमंत्री गोपीचंद भार्गव थे। भार्गव ने दिल्ली पुलिस के जरिये उन लोगों को गिरफ्तार करा लिया। उनके बैंक अकाउंट सील करा दिये गए, उनका एक स्कूल था, उसे बंद करा दिया गया। उस समय नेहरू ने भार्गव को लिखा कि, यह तुमने क्या किया? यह तो पंजाब पुलिस को करना था, तुमने दिल्ली पुलिस का उपयोग क्यों किया? नेहरू ने लिखा था कि, मैंने श्रीप्रकाश को इस आदमी से जेल में मिलने भेजा था, उन्होंने आकर बताया कि, यह आदमी हमारे लिये जेल के बाहर बहुत उपयोगी है। इसके बाद नेहरू ने भार्गव पर दबाव बनाकर अब्दुल्ला को छुड़वा लिया, बैंक अकाउंट चालू करा दिया गया, स्कूल चालू करवा दिया गया। ऐसे लोगों को इन लोगों ने सहयोग किया। स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने भी राष्ट्रवादी मुसलमानों का जिक्र किया है। लेकिन, नेहरू के जो निर्णय थे, उससे मुसलमानों में से राष्ट्रवादी विचार गायब हो गया। इसके बाद जिन्ना, लियाकत अली पढ़ाया जाने लगा।

पूर्वोत्तर के साथ नेहरू का भेदभाव
1947 की मैंने एक सीआईडी रिपोर्ट देखी, इसमें कहा गया है कि, मस्जिद में नारा लगा रहे हैं, लड़ के लिया पाकिस्तान, हंस के लेंगे हिंदुस्तान। जिस मानसिकता से यह पैदा हुआ, उस मानसिकता को पनपने दिया गया। मेवात में यह इतिहास बन गया है। यही स्थिति मणिपुर की है। यह वही मणिपुर है जहां, कुकी, नागा, मैती, खासी ने मिलकर आजाद हिंद फौज का साथ दिया था। बिशनपुर को जीता। उसके बाद में 1946 में नागालैंड का एक प्रतिनिधि कहता है कि, अमेरिका के मिशनरी कह रहे हैं कि, इंडिया के साथ मत जाओ। इस पर नेहरू ने उत्तर दिया कि, इंडिया का फ्रीडम स्ट्रगल नागालैंड से शुरू नहीं होता। वहां 90 हजार लोगों ने अर्जी दी थी कि, हमने आजाद हिंद फौज को समर्थन किया था, हमें स्वतंत्रता सेनानी घोषित किया जाए। नेहरू ने आजाद हिंद फौज को ही स्वतंत्रता सेनानी घोषित नहीं किया था, तो उन्हें कैसे घोषित करते। इससे एक नकारात्मकता आई। सरदार वल्लभ भाई पटेल का 1949 का एक पत्र था, जिसमें उन्होंने नेहरू को लिखा था कि, पूर्वोत्तर के राज्यों पर चीन की दृष्टि है, वहां संसाधन विकास किया जाए। वहां सैन्य शक्ति बढ़ानी चाहिये। नेहरू ने वह चिट्ठी भी एक कोने में डाल दी। उसके विरुद्ध एक थियरी चलाई ‘मेन लैंड और पेरीफेरी’। यह कहा गया कि, दिल्ली मुख्य धारा है और पूर्वोत्तर के लोग पेरीफेरी के हैं। इससे अलगाव अधिक बढ़ा। बांग्लादेशी मुसलमान पूर्वोत्तर में जाकर बसने लगे। इसे जिन्ना ने पहले ही शुरू कर दिया था। इसके बाद रही सही कसर कांग्रेसियों ने रोहिंग्या के जरिये पूरी कर दी।

सोरोस का पैसा बोल रहा, गजवा हिंद का हिस्सा
आज सोरोस का पैसा बोल रहा है। ट्रंप के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट रहा व्यक्ति खुलकर कह रहा था, कि ट्रंप के समय 30 मीलियन डॉलर खर्च किया गया था, जिससे मोदी 2019 का चुनाव हार जाएं। आज जो मेवात में हो रहा है, पुणे में जो लोग गिरफ्तार किये गए हैं, वे सिंधुदुर्ग के जंगलों में धमाके करते थे। इसके एक दिन बाद ही नूंह में शिव भक्तों पर पहाड़ियों पर गोलियां चलाइ जाती हैं। यह कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है, विपक्ष हो हल्ला करता रहता है। हर जगह पथराव हो रहा है, पत्थर कहां से आ जाते हैं। हर भारतीय को वह नक्शा देखना चाहिये, जो अलकायदा ने बनाया है, जिसमें टर्की से इंडोनेशिया तक के पूरे क्षेत्र को हरा दिखाया गया है। जो गजवा हिंद की बात करते हैं, क्या वो खतम हो गया है। ये सब गजवा हिंद का हिस्सा है।

दो लाख पाकिस्तानी गायब, हमारे लोग सीमा भाभी के स्वागत में जुटे
देश में कितने लोगों को पता है कि, स्वतंत्रता के बाद से दो लाख पाकिस्तानी वीजा लेकर यहां आए थे और वे आने के बाद गायब हो गए। देश में कई स्लीपर सेल बनाए गए हैं। हम हिंदुओं की आज भी सोच यही है कि, सीमा भाभी (पाकिस्तान से आई सीमा हैदर) पाकिस्तान से आ गई है। अब तो वो सनातन हो गई है। ऐसे लोगों को शर्म से डूब जाना चाहिये। उन्हें नहीं पता है कि, जासूस कैसे प्लांट किया जाता है? जब किसी जासूस को फिट किया जाता है तो लोकेशन देखा जाता है। जासूस को प्लांट वहां किया जाता है, जहां केन्टॉनमेन्ट हो या अफसर रहते हों। मैंने कहा था कि, उस गांव का पता करिये (सीमा जिस गांव में है) कि वहां से कितने लोग सेना में हैं। कर्नल शैलेंद्र ने बताया कि, 27 लोग उस गांव से सेना में काम कर रहे हैं। जेवर एयरपोर्ट वहां आ रहा है और हमारे लोग कह रहे हैं कि, सीमा भाभी आ गई है।

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राहुल गांधी पर टिप्पणी, हिंदुस्थान गद्दारों के कारण हारा
हिंदुस्तान जब भी गुलाम हुआ है, वो बाहरी लोगों के कारण गुलाम नहीं हुआ है। या कोई युद्ध हारा है वो किसी दूसरे की बहादुरी की वजह से नहीं हारा, चाहे अंग्रेज हों, मुगल हों या तुर्क रहे हों। हम हारे तो सिर्फ गद्दारों की वजह से। अब राजनीतिक दल ही यह काम करते हैं। कोई चीन से संधि कर आता है, तो किसी दल का नेता अमेरिका पहुंच जाता है। उसके यहां आईएसआई के लोग बैठे होते हैं। उसकी सभा में खालिस्तान के नारे लगते हैं। यह कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है, बल्कि ये देश के विरुद्ध युद्ध है। इससे उसी प्रकार से निपटना होगा।

मणिपुर हिंसा के पीछे चीन की टूलकिट?
यह एक टूलकिट का हिस्सा ही है। मुझे एजेंसियों पर पूरा विश्वास है। आज जो मणिपुर में हो रहा है। लोग कहते हैं कि, यह पाकिस्तान ने शुरू किया है, लेकिन नहीं, यह चीन का खड़ा किया हुआ है। पूरा नक्सली मूवमेंट चीन द्वारा खड़ा किया गया है। सभी हथियार चीन से दिये जाते हैं। नागालैंड मणिपुर के अंडरग्राउंड संगठन चीन ने शुरू करवाया था। पाकिस्तान ने 1989 में शुरू करवाया। हमें इस चीज को समझना होगा। आज इस्लाम का नारा गजवा हिंद ही नहीं है, गजवा ए यूरोप शुरू हो गया है। हम चार आतंकी रोज मारते हैं। लेकिन, ये फिर पनप जाते हैं। तो हमें उस मानसिकता को मारना होगा।

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