ASI Survey In Bhojshala: भोजशाला में एएसआई का सर्वे सातवें दिन भी जारी, इलेक्ट्रॉनिक मैपिंग गैजेट का लिया सहारा

इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। एएसआई की टीम के साथ करीब 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे हैं। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे हैं।

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ASI Survey In Bhojshala: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला (Bhojshala) में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) (एएसआई) का सर्वे सातवें दिन (survey on seventh day) 28 मार्च (गुरुवार) को भी जारी है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 17 सदस्यीय टीम सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पहुंची और सर्वे का काम शुरू किया।

इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। एएसआई की टीम के साथ करीब 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे हैं। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे हैं।

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भोजशाला के बाहर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध
भोजशाला के बाहर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। एएसआई की टीम के साथ पहुंचे मजदूरों को जांच के बाद भोजशाला में प्रवेश दिया गया। भोजशाला में उत्खनन, कार्बन डेटिंग जीपीएस, जीआरएस पद्धति सहित आधुनिक संसाधनों द्वारा सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे का काम पीछे की तरफ चल रहा है। यहां तीन स्पॉट बनाए गए हैं, उसमें साढ़े छह फीट गहराई तक गड्ढे कर दिए गए हैं। गुरुवार को सुबह भोजशाला पहुंचे मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने फिर सर्वे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजा भोज का किला कहां था। किला था तो भोजशाला कहां थी। भोजशाला मिस्ट्री थी। उसको ढूंढने की कोशिश की जाए। हम भी चाहते हैं कि उसको ढूंढा जाए।

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जाने क्या है विवाद
दरअसल, राजा भोज ने धार की भोजशाला को बनाया था। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है, जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन धार में मांडू के दौरे पर आए थे। उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। तब सर्वे भी किया गया था। सन 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है। याचिका हिंदू फॉर जस्टिस ट्रस्ट की तरफ से लगाई गई थी। इसके अलावा छह अन्य याचिकाएं भी इस मामले में पूर्व में लगी हैं। ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखते हुए बताया था कि 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में हिंदू चिन्ह, संस्कृत के शब्द आदि पाए गए हैं। इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच होना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो।

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