Mumbai: वीर रस की कविताओं से यादगार बना नयी उड़ान का विराट कवि सम्मेलन

'गणतंत्र की शाम - परमवीर चक्र विजेताओं के नाम' शीर्षक से आयोजित अभिनव पहल के ज़रिये समूचे भारतवर्ष के इतिहास में पहली बार किसी संस्था द्वारा ऐसा अनूठा आयोजन किया गया

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Mumbai: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई महानगर में कला, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्धन के लिए उल्लेखनीय भूमिका निभा रही लब्ध-प्रतिष्ठित संस्था नयी उड़ान (Nayi Udaan) ट्रस्ट द्वारा हिंदू आध्यात्मिक सेवा संघ के संयुक्त तत्वावधान में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के पावन अवसर पर 26 जनवरी, 2024 को मुंबई के बिरला मातुश्री सभागार (Birla Matushree Auditorium) में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन (All India Kavi Sammelan) आयोजित किया गया। देश के नामचीन कवियों द्वारा वीरता और शौर्य के पुरोधाओं को महिमा मंडित करती ओजस्वी रचनाओं की रोमांचक काव्य रसधारा से अंतर्मन तक भिगोकर यह कवि सम्मेलन दर्शकों के स्मृति पटल पर एक यादगार और ऐतिहासिक समारोह के रूप में अंकित हो गया।

गणतंत्र की शाम – परमवीर चक्र विजेताओं के नाम
इस अवसर पर ‘गणतंत्र की शाम – परमवीर चक्र विजेताओं के नाम’ शीर्षक से आयोजित अभिनव पहल के ज़रिये समूचे भारतवर्ष के इतिहास में पहली बार किसी संस्था द्वारा ऐसा अनूठा आयोजन किया गया, जिसमें आज़ादी के बाद से अब तक के कुल 21 परमवीर चक्र विजेताओं में से 18 दिवंगत शहीदों के चित्रों पर समारोह में शामिल होने वाले सभी लोगों ने अपनी पुष्पांजलि अर्पित की तथा एक परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र यादव का शुभकामना संदेश इस समारोह में डिजिटल माध्यम से बड़े पर्दे पर प्रदर्शित किया गया।

‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ का जयघोष से गूंजता रहा सभागार
अपनी समृद्ध काव्य रचनाओं की बदौलत अत्यंत सफल रहे इस विराट कवि सम्मेलन में वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि विनीत चौहान, ओजस्वी वाणी की धनी कवयित्री कविता तिवारी, मध्यप्रदेश के देवास नगर से आये हरफनमौला कवि शशिकांत यादव और उदयपुर से आये तेजस्वी तेवर वाले युवा कवि सिद्धार्थ देऊल के अलावा मुंबई की कवयित्री मंजू लोढ़ा एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत कोठारी ने अपनी काव्य रचनाओं की शानदार प्रस्तुति कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया। सभी काव्य रचनाऍं इतनी प्रभावशाली थीं कि उनके असरदार प्रस्तुतीकरण की बदौलत खचा-खच भरे सभागार में दर्शकों ने देशभक्ति के रंग में डूबकर कई बार ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ का जयघोष किया। सिद्धार्थ देऊल की रचना ‘शहीद की पत्नी’ और ‘हल्दी घाटी’, तथा कविता तिवारी की ‘शहीदों का गौरवगाथा’ और ‘बेटियाॅं’ रचनाओं ने खूब वाहवाही बटोरी। वहीं शशिकांत यादव द्वारा प्रस्तुत ‘जवानों की आरती’ तथा विनीत चौहान की ओजस्वी रचना ‘ भगवान राम के मंदिर की चर्चा है चांद सितारों में..!’ को भी भरपूर सराहा गया।

वरिष्ठा राजनेता राम नाईक का हुआ सम्मान
इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण अलंकरण से सम्मानित किये जाने के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ राजनेता राम नाईक का आयोजक संस्थाओं की ओर से हार्दिक सत्कार एवं अभिनन्दन किया गया। नाईक ने समारोह को सम्बोधित करते हुए उनके पेट्रोलियम मंत्री के कार्यकाल के दौरान कारगिल के सभी शहीदों के परिवारों को पेट्रोल पम्प दिये जाने और लखनऊ की शहीद स्मृतिका के बारे में जानकारी दी। हिंदू आध्यात्मिक सेवा संघ के मार्गदर्शक और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक गुणवंत कोठारी को उनकी अतुलनीय राष्ट्रभक्ति पूर्ण सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य में सनातन संस्कृति की महत्ता को रेखांकित किया।

विभिन्न समाजसेवियों का हुआ सम्मान
इस मौके पर कोठारी, नयी उड़ान संस्था के संयोजक शांतिलाल बी जैन और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रमेश निर्मल ने राजस्थान के कवि लक्ष्मण सिंह कर्णावट के नव प्रकाशित काव्य ग्रंथ ‘मेवाड़ महिमा’ का विमोचन किया। समारोह में नयी उड़ान संस्था की ओर से विभिन्न समाजसेवियों को भी उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। इस समारोह में महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और वरिष्ठ राजनेता राज पुरोहित के अलावा नयी उड़ान संस्था के अध्यक्ष बी सी जैन भालावत, उपाध्यक्ष गणपत कोठारी, राकेश चोपड़ा, अशोक छाजेड़, हिंदू आध्यात्मिक सेवा संघ के अध्यक्ष अमर शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी अनिल मुणोत, मंगलचंद सेठ, हीरालाल मेहता, प्रशांत झवेरी, नितेश धाकड़, गणपत डागलिया और डॉ. रमेश निर्मल सहित अनेक प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए, जिन्होंने इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समारोह का कुशल मंच संचालन वीरेंद्र याज्ञिक और संजय राजा जैन ने किया। अंत में संयोजक शांतिलाल बी जैन ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया। समारोह का शुभारम्भ राष्ट्रगान से तथा समापन वंदे मातरम के सुमधुर गीत के साथ हुआ।

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