Veer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर के गीत ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ में युवाओं की पसंद का विशेष ध्यान, इंडी फ्यूजन म्यूजिक से बही राष्ट्रप्रेम की गंगा

विशिष्टताओं का जैसा संगम वीर सावरकर में समाहित था, वैसा किसी अन्य महापुरुषों में नहीं दिखता। सावरकर जितने बड़े क्रांतिकारी थे, उतने ही बड़े इतिहासकार, नीतिकार, साहित्यकार और गीतकार भी थे। 1908 में उनके द्वारा लिखे 'हमारा प्रियकर हिंदुस्थान' गीत में उनके उत्कट देश प्रेम के दर्शन होते हैं।

362

Veer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर का जिक्र आते ही मन मस्तिष्क में एक बहुआयामी व्यक्तित्व की छवि आ जाती है। विशिष्टताओं का जैसा संगम वीर सावरकर में समाहित था, वैसा किसी अन्य महापुरुषों में नहीं दिखता। सावरकर जितने बड़े क्रांतिकारी थे, उतने ही बड़े इतिहासकार, नीतिकार, साहित्यकार और गीतकार भी थे। लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही था, देश को जल्द से जल्द अंग्रेजों से स्वतंत्र कराना। उनकी सभी तरह की कलाओं में हिमालयी देश प्रेम के दर्शन होते हैं।

1908 में उनके द्वारा लिखे ‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ गीत में भी उनके उत्कट देश प्रेम के दर्शन होते हैं। इस गीत में जहां देश का गौरवगान है, वहीं इसकी महत्ता, दुनिया के देशों से अलग पहचान और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे वीरों के जिक्र के साथ ही त्याग और समर्पण के दिव्य दर्शन हैं।

युवावर्ग की पसंद पर विशेष ध्यान: प्रांजल अक्कलकोटकर
राष्ट्रप्रेम की असिम अभिव्यक्ति से भरे इस गीत को गायक और संगीतकार प्रांजल अक्कलकोटकर ने संगीतबद्ध किया है। साथ ही आवाज भी उनकी ही है। हिंदुस्थान पोस्ट ने उनसे इस गीत और संगीत के बारे में बात की। उन्होंने कहा,”यह गीत आज के युवा वर्ग को ध्यान में रखकर विशेष रुप से बनाया गया है। संगीत में उनकी पंसद के वाद्य का उपयोग कर देशभक्ति के भाव को अधिक ओजस्वी और असरदार बनाने का प्रयास किया गया है। मुझे लगता है कि वैसे तो यह गीत सभी वर्ग को पसंद आएगा, लेकिन युवा वर्ग को विशेष रूप से आकर्षित करने में सफल होगा।”

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए इसके संगीत निदेशक और गायक प्रांजल अक्कलकोटर बताते हैं, “गीत को संगीतबद्ध करते समय हमने तीन काल का ध्यान रखा है। वैदिक, छत्रपति शिवाजी महाराज और आधुनिक काल। इन तीन कालों के संगीत को मिश्रित कर गीत हमारा प्रियकर हिंदुस्थान को ओजस्वी और देशभक्ति से परिपूर्ण बनाने का प्रयास किया गया है।

वह आगे बताते हैं, “गीत में विशेष प्रभाव उत्पन्न करने के लिए हमने ऑरिजिनल वाद्य यंत्रों का उपयोग किया है। गीत के बोल के अनुसार प्रभाव उत्पन्न करने और राष्ट्रप्रेम के भाव को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अलग-अलग अंतरे पर अलग-अलग वाद्यों का उपयोग किया गया है। ‘यज्ञ धूम से गंधित जिसका’- बोल के समय गीत में उठाव के लिए तानपुरा और इलेक्ट्रिक गिटार का उपयोग किया गया है। इसी तरह जिस अंतरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का जिक्र है, वहां तुतारी के साथ ही डिमड़ी( छोटी डफली) का उपयोग कर बोल को ज्यादा असरदार बनाया गया है।

NIA: राजौरी हमले के आरोपियों पर एनआईए ने कसा शिकंजा, लश्कर-ए-तैयबा के 5 आतंकियों पर चार्जशीट दाखिल

इंडी फ्यूजन म्यूजिक का उपयोग
प्रांजल आगे बताते हैं,  “पूरे गाने में इंडी फ्यूजन म्यूजिक का उपयोग कर हमने गीत के देशभक्ति के भाव को असरदार बनाने का प्रयास किया है। इसके लिए इलेक्ट्रिक गिटार, पियानों और ढोलक का उपयोग किया गया है। हमने गाने में एलोक्ट्रोनिक संगीत के उपयोग करने से बचा है।”

फ्यूजन क्या है?
1960 के दशक में शुरू हुई, इंडियन फ्यूजन संगीत की एक शैली है जो रॉक, पॉप, जैज़ और ब्लूज़ जैसी मुख्यधारा की संगीत शैलियों को शास्त्रीय हिंदुस्तानी और कर्नाटक परंपराओं के साथ जोड़ती है। संगीत शास्त्रीय ध्वनि को मुख्यधारा में लाता है, और कलाकारों को एक अनूठी और ताजा ध्वनि बनाने में सक्षम बनाता है, जिससे दर्शक अभी भी परिचित हैं। हाल के वर्षों में, ऐसे कई कलाकार हुए हैं, जिन्होंने शानदार फ्यूज़न संगीत की खूबसूरती से रचना की है, प्रयोग किया है और उसका निर्माण किया है।

गीत संगीत संयोजन टीम
‘हमारा प्रियकर हिंदुस्थान’ मूलतः मराठी गीत है, जिसे वीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने हिंदी में अनुवादित किया है, जबकि  प्रांजल अक्कलकोटकर ने इसे गाने के गायन के साथ ही संगीदतबद्ध भी किया है। संगीत संयोजन ऋषिकेश देसाई और श्रेयस कांबले ने किया है, जबकि तालवाद्य संयोजन ऋत्विक तांबे और सह संगीत संयोजन मिहिर दास ने किया है। गीत को वीर सावरकर स्टुडियो,दादर में संगीतबद्ध किया गया है, जबकि ध्वनिमुद्रण और  ध्वनिमिश्रण शैलेश सामंत ने किया है। वीडियो एडिटिंग दिनेश भात्रे ने की है।

मराठी से हिंदी में अनुवादित गीत
धरती का अभिमान ।
हमारा प्रियकर हिंदुस्थान
यही हमारा प्राण ।
हमारा सुंदर हिंदुस्थान ।

बहुत हैं देखे, बहुत सुने हैं
देश-प्रदेश महान
आंग्ल अमरिका मिसर जर्मनी
चीन तथा जापान ।१।

गिरि बहुत, पर सब में तेरे
हिमगिरी का है मान
कौन नदी दे श्रीगंगासम पूत-सुधाजल-पान ।२।

कस्तूरी-मृग-परिमल-पूरित
तेरा वन-उद्यान
प्रातःकाले कोकिल-किलकिल कूजित आम्रोद्यान। ३।

यज्ञ धूम से गंधित जिसका
मधुर सामरव गान
जहाँ देवता करने आते
सोम – सुधा रस पान। ४ ।

जिजा जन्म दे जहा शिवाजी,
गुरुपुत्र करे बलिदान
पुण्यभूमि तूं! पितृभूमि तूं! तूं सबका अभिमान। ५।

करे आमरण मातृभूमी के
कारण हम संग्राम
शत्रुरुधिर अभिषेक करेंगे रखने तेरा मान।

Join Our WhatsApp Community

Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.