महंगाई की एक और मार, दालों के बढ़ेंगे दाम! ये है कारण

भारत में सभी दालों की वार्षिक मांग लगभग 1.22 लाख टन है। इसमें से 42 से 44 लाख टन तूर दाल शामिल है।

107

दे के मध्य भारत में दलहन की खेती सबसे अधिक की जाती है। इसके साथ ही महाराष्ट्र से सटे विदर्भ क्षेत्र का दक्षिणी भाग भी दलहन के लिए मशहूर है। अकोला, विदर्भ में यवतमाल और मराठवाड़ा के लातूर में भी दलहन की बड़े पैमाने पर खेती होती है। चने की दाल भी ज्यादातर विदर्भ और राजस्थान के कुछ हिस्सों में होती है। इस साल पूरे देश में तूर दाल के उत्पादन में 3 लाख टन की कमी आई है। नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन ने इस संबंध में आंकड़े जारी किए हैं।

तूर दाल के उत्पादन में कमी
राज्य में बारिश से तूर दाल की खेती काफी प्रभावित हुई है। दिवाली के बाद बाजार में की नई फसल आती है। हालांकि इस वर्ष इसका उत्पादन कम रहने की उम्मीद है। महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों में तूर दाल की उत्पादकता में क्रमशः 3 से 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। देश भर में स्थिति सकारात्मक है क्योंकि मध्य प्रदेश में तूर दाल की फसल अच्छी रही है।

त्योहारी सीजन में बढ़े दालों के दाम
भारत की सभी दालों की वार्षिक मांग लगभग 1.22 लाख टन है। इसमें से 42 से 44 लाख टन तूर दाल शामिल है। इस वर्ष तूर दाल की फसल बारिश से काफी प्रभावित हुई है। सबसे ज्यादा फसल का नुकसान महाराष्ट्र में हुआ है। ऐसे में आने वाले समय में तूर दाल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है। पिछले आठ दिनों में अरहर दाल के भाव में चार से पांच रुपए का इजाफा हुआ है। वर्तमान में अरहर दाल का बाजार भाव 110 रुपये प्रति किलो है। खुदरा बाजार में अरहर दाल की कीमत 125 से 130 रुपये प्रति किलो हो गई है। उड़द की दाल 97 से 100 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रही थी लेकिन दिवाली से पहले इसकी कीमत 105 रुपये से 110 रुपये तक पहुंच गई । बढ़ी हुई दरों का आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ने वाला है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.