New Delhi: रक्षा मंत्री ने किया बलबीर पुंज की पुस्तक का लोकार्पण, अयोध्या को लेकर कही ये बात

लेखक बलबीर पुंज की पुस्तक Tryst with AYODHYA (Decolonisation of India) का विमोचन भी किया गया।

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New Delhi: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Defense Minister Rajnath Singh) ने कहा कि अयोध्या(Ayodhya) तोड़ती नहीं बल्कि अयोध्या तो जोड़ती(Ayodhya would have added) है। रक्षामंत्री नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (ndtf) एवं किताबवाले द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के मल्टीपर्पज हाल(Multipurpose Hall of Delhi University) में आयोजित लोहड़ी, मकर संक्रांति मिलनोत्सव एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह(Lohri, Makar Sankranti get-together and book launch ceremony) को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

बलबीर पुंज की पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा लेखक बलबीर पुंज की पुस्तक Tryst with AYODHYA (Decolonisation of India) का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “राम से सीखना है कि लोकहित में काम कैसे करें”। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने की।

राष्ट्रीय स्वाभिमान की चरम अनुभूति का क्षण
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राणप्रतिष्ठा को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि 500 साल बाद अयोध्या के साथ न्याय हुआ है। यह राष्ट्रीय स्वाभिमान की चरम अनुभूति का क्षण होगा, जब रामलला भव्य मंदिर में लौटेंगे। उन्होंने बलबीर पुंज द्वारा लिखित पुस्तक की चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत और उस विरासत से जुड़े वोट बैंक के खेल और तुष्टीकरण की राजनीति की पोल खोलती है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम जन्म स्थान का मंदिर नए भारत का प्रतीक होगा। यह मंदिर हमारी सनातन आस्था का शिखर भी होगा। उन्होंने कहा कि इस देश में कुछ लोग राम को काल्पनिक कहते हैं। राम थे, राम हैं और राम रहेंगे। सच तो यह है कि राम के बिना भारत के व्यक्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज अयोध्या को वह स्थान मिल गया है, जो 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता के तुरंत बाद मिल जाना चाहिए था।

हिन्दू-मुस्लिम टकराव का का मुद्दा नहीं रहा उन्होंने कहा जब 22-23 दिसंबर 1949 की रात को राम लला की मूर्ति प्रकट हुई थी, तब इसका पहला साक्षी कोई हिन्दू नहीं बल्कि मुसलमान था। राजनाथ ने कहा कि बलबीर पुंज अपनी पुस्तक से जरिये स्थापित करते हैं कि राम जन्मभूमि का विषय कभी हिन्दू-मुस्लिम टकराव का का मुद्दा नहीं रहा बल्कि वोटबैंक की राजनीति ने इसे बनाया है। इसके साथ ही रक्षामंत्री ने भारत सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का चार ट्रिलियन डालर तक पहुंचना और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।

जिसकी जैसी भावना…
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जिसकी जैसी भावना होती है, उसे वैसा ही दिखाई देता है। भगवान राम तो भारत के प्राण हैं। राम से हमें धैर्य की सीख लेनी चाहिए तो रावण के जीवन से भी सीखना चाहिए कि उच्च पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा धर्म का आचरण न करने पर ज्ञान भी हानिकारक हो जाता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने कहा कि जैसे ही 22 जनवरी, 2024 को 12 बजकर 20 मिनट पर विश्व के हिंदुओं की श्रद्धा राम लला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करेगी, वैसे-वैसे हम सबके हृदय में भी राम जी को उतरना चाहिए।

राम को निकाल दिया जाए तो भारत दूसरा अफगानिस्तान या पाकिस्तान बन जाएगा
पुस्तक के लेखक बलबीर पुंज ने मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा कि भारत से राम को निकाल दिया जाए तो भारत दूसरा अफगानिस्तान या पाकिस्तान बन जाएगा। राम को हम लोग अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक Tryst with AYODHYA (Decolonisation of India) के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 1947 के बाद अयोध्या के क्षेत्र में कोई हिन्दू-मुस्लिम विवाद नहीं था। वहां के मुस्लिम चाहते थे कि वहां पर मंदिर बनना चाहिए। पुंज ने कहा कि केवल एक व्यक्ति नहीं चाहते थे तो वो थे पंडित जवाहरलाल नेहरू। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उन्हें मात्र चार महीने का समय लगा और अयोध्या व राम से जुड़े अनेक पहलुओं को इसमें समेटा गया है।

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