परीक्षण सफल, अब सागर से भी भेदेगा ‘ब्रम्होस’

अपने देश में चहकने वाले चीन को सीमा पर किसी भी दुस्साहस का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए भारत अपनी रणनीति में दिनों-दिन सुधार और आयुध की संख्या और तकनीकी में निरंतर विकास कर रहा है। इसी के अंतर्गत ब्रम्होस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया।

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भारत के रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने क्रूज मिसाइल तकनीकी के परीक्षण में एक और सफलता प्राप्त कर ली। डीआरडीओ ने समुद्र में स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रम्होस का सफल परीक्षण किया। अरब सागर में एक लक्ष्य को साधकर मिसाइल दागी गई जो तय समय में सटीकता से उसे भेद दिया।

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अपने देश में चहकने वाले चीन को सीमा पर किसी भी दुस्साहस का बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए भारत अपनी रणनीति में दिनों-दिन सुधार और आयुध की संख्या और तकनीकी में निरंतर विकास कर रहा है। इसी के अंतर्गत ब्रम्होस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। यह मिसाइल पारंपरिक तरीके से विकसित स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से छोड़ी गई थी। इसके लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिसे तय समय के भीतर भेदना था। ब्रम्होस का यह परीक्षण सभी मानकों पर सफल रहा। ब्रम्होस की मारक क्षमता को अब 400 किलोमीटर कर दी गई है।

जल-थल और नभ से बरसेगी ब्रम्होस
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली है। यह जमीन के समानांतर उड़ान भरती है और राडार से बचते हुए दुश्मन को तबाह कर देती है। इसे जमीन, हवा और पानी में से दागा जा सकता है। इस मिसाइल को वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है।

ब्रम्होस का विकास
इस क्रूज मिसाइल का विकास ब्रम्होस कॉर्पोरेशन द्वारा किया गया है। इसमें भारतीय रक्षा विकास संगठन (डीआरडीओ) और रुसी कंपनी एपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का समावेश है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है।

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ब्रम्होस की विशेषता
मिसाइल तकनीकी ब्रम्होस का विश्व में कोई तोड़ नहीं है। इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज मारक मिसाइल बनाती है। यहाँ तक की अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फीकी साबित होती है। इस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक होती है। रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है।

क्रूज मिसाइल क्या है?
क्रूज मिसाइल (प्रक्षेपास्त्र) बहुत छोटे होते हैं और उनपर ले जानेवाले बम का वजन भी ज्यादा नहीं होता। लेकिन अपने आकार के कारण उन्हें छोड़े जाने से पहले बहुत आसानी से छुपाया जा सकता है। क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह के समांनांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है। क्रूज मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए ही कारगर माने जाते हैं। लेकिन अपने आकार के कारण और कम लागत के कारण उनका प्रयोग पारंपरिक हथियारों के साथ ज्यादा होता रहा है।

 

 

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