‘मन की बात’ में बोले पीएम, आपातकाल की यातनाएं बताती हैं लोकतंत्र की अहमियत

अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदियों को दी गई यातनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमें लोकतंत्र के खिलाफ हुए इस अपराधों को याद रखना चाहिए।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में आपातकाल के दौरान राजनीतिक बंदियों को दी गई यातनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में हमें लोकतंत्र के खिलाफ हुए इस अपराधों को याद रखना चाहिए।

लोकतंत्र की जननी है भारत

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के 102वें एपिसोड में कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों और संविधान को सर्वोपरि मानते हैं। ऐसे में हम 25 जून को कभी नहीं भुला सकते। यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल थोपा गया था। यह भारत के इतिहास का काला दौर था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान अत्याचार किया गया था। इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है।

आपातकाल पर लिखी पुस्तकों के बड़े मायने

इन अत्याचारों पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं। स्वयं उन्हें भी पुस्तक लिखने का मौका मिला। कुछ दिनों पहले उन्होंने ऐसी एक पुस्तक देखी ‘टॉर्चर ऑफ़ पॉलीटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया’। पुस्तक में वर्णन किया गया है कि इमरजेंसी के दौरान कैसे उस समय की सरकार लोकतंत्र के रखवालों पर क्रूरता से व्यवहार कर रही थी। इसके बारे में जानकार आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी।

आपदा से निपटने भारतीय बेमिसाल

प्रधानमंत्री ने आज आपदा के समय भारत के लोगों के सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति और चुनौतियों का हल निकालने की क्षमता की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 दिन पहले बिपरजॉय तूफान के दौरान हमने यही ताकत देखी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि तूफान की तबाही से कच्छ के लोग बहुत तेजी से उभर जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत की आपदा प्रबंधन क्षेत्र में बड़ी ताकत अब दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गई है।

प्रकृति का संरक्षण ही आपदा से बचाव

जल संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का सबसे अच्छा तरीका प्रकृति का संरक्षण है। उन्होंने कहा कि ‘कैच द रैन’ जैसे अभियानों से देश आज इस दिशा में सामूहिक प्रयास कर रहा है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की विलुप्त नदी ‘नील नदी’ को जीवंत करने का प्रयास। महाराष्ट्र के निलवांडे डैम की नहर का काम पूरा होने से जुड़ी लोगों की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नदी, नहर, सरोवर केवल जलस्रोत नहीं बल्कि इनसे जीवन में रंग और भावनाएं जुड़ी होती हैं।

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अनुकरणीय है शिवाजी का प्रबंध कौशन

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके सुशासन और प्रबंध कौशल से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके जल प्रबंधन, नौसेना और जलदुर्ग जैसे कार्य इतिहास का गौरव बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपने दैनिक जीवन में योग अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि इस बार के योग दिवस वाले दिन वे संयुक्त राष्ट्र में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे।

2025 तक भारत को टीवी मुक्त बनाने का संकल्प

‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने क्षय रोग यानी टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार की ओर से चलाई गई निक्षय मित्र योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत को टीवी मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है। इसमें समाज बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। 10 लाख से ज्यादा टीबी मरीजों को गोद लिया जा चुका है और यह काम 85 हजार निक्षय मित्रों ने किया है।

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