Rajasthan Assembly Elections: भाजपा-कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सवाल, सत्ता में आए तो कौन बनेगा मुख्यमंत्री

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और वसुंधरा राजे को किनारे करना दोनों पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा। कहा जाता है कि अगर इनमें कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता तो दोनों नेता मिलकर एक-दूसरे को बिठाने में लग जाते हैं।

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विशेष प्रतिनिधि
Rajasthan Assembly Elections:अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद ने बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) आलाकमान की नींद उड़ा दी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता मिली तो मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल का जवाब पाने के लिए दोनों पार्टियां ‘रणनीति’ बनाने में जुट गई हैं।

03 दिसंबर को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे (results) आएंगे। चार राज्यों में मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। हालाँकि, अगर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आते हैं, तो किसे मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनाना चाहिए? ऐसे सवाल का सामना कांग्रेस और बीजेपी को करना पड़ रहा है। दोनों पार्टियों ने मतगणना के बाद की स्थिति का अंदाजा लगाकर ‘रणनीति’ बनानी शुरू कर दी है।

तूफानों के बीच दीए की लौ को बचाने जैसा फैसला
राजस्थान ने ही बीजेपी और कांग्रेस आलाकमान (high command) की नींद उड़ा दी है। राजस्थान में जो भी पार्टी सत्ता में आएगी, उसके लिए मुख्यमंत्री का फैसला तूफानों के बीच दीए की लौ को बचाने जैसा होगा। अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आती है तो कांग्रेस को यह तय करना होगा कि मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट में से किसे राज्य की कमान सौंपी जाए। अगर बीजेपी की सरकार आई तो क्या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को नजरअंदाज किया जाएगा और किसी अन्य चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सामने लाया जाएगा। फिलहाल जो नाम चर्चा में हैं उनमें गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, ओम बिरला और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शामिल हैं।

एक-दूसरे के लिए मुसीबत नहीं खड़ा करते राजे-गहलोत
हालांकि, अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और वसुंधरा राजे को किनारे करना दोनों पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा। कहा जाता है कि अगर इनमें कोई मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता तो दोनों नेता मिलकर एक-दूसरे को बिठाने में लग जाते हैं। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर धरना दिया था। लेकिन गहलोत ने जांच के आदेश नहीं दिये। जब महारानी विपक्षी दल की नेता थीं, तब भी गहलोत को भरोसा था कि बीजेपी की वजह से गहलोत सरकार संकट में नहीं पड़ेगी। ऐसे में इन दोनों नेताओं की दोस्ती का अनुमान इससे लगाया जा सकता है।

हाई वोल्टेज ड्रामे की संभावना
ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी किसे मुख्यमंत्री पद पर बिठाए? यह तय करना होगा। इससे हाई वोल्टेज ड्रामा होने की पूरी संभावना है। बीजेपी मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों में अपना चेहरा बदलना चाहती है। कांग्रेस के सामने चेहरे की समस्या सिर्फ राजस्थान के लिए है। मध्य प्रदेश में पहले ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर कमल नाथ को आगे किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में सरकार आई तो कांग्रेस की ओर से पुराने चेहरे को आगे किया जाएगा।

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