Sri Krishna Janmabhoomi Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर 18 मुकमदों पर हुई बहस, इस तारीख को अगली सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर दाखिल 18 मुकदमों पर गुरुवार हाईकोर्ट की अदालत में बहस हुई।

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Sri Krishna Janmabhoomi Dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद (Sri Krishna Janmabhoomi Dispute) को लेकर दाखिल 18 मुकदमों पर 02 मई (गुरुवार) को प्रयागराज हाईकोर्ट (Prayagraj High Court) में सूट नम्बर 9 और सूट नम्बर 15 पर सुनवाई हुई। सुनवाई पूरी नहीं होने पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए सात मई की तारीख लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन (Justice Mayank Kumar Jain) ने दिया है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर दाखिल 18 मुकदमों पर गुरुवार हाईकोर्ट की अदालत में बहस हुई। इस बहस में हिंदू पक्ष की तरफ से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन, एडवोकेट एके मालवीय, एडवोकेट सतवीर सिंह और एडवोकेट कुमार बीनू सिंह मौजूद रहे। वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से एडवोकेट तस्लीम अहमदी ने बहस की। अदालत ने अगली सुनवाई 07 मई निर्धारित की है।

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जमीन पर अतिक्रमण
बहस के दौरान हिंदू पक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि न्यायालय में प्राचीन साक्ष्य हिंदू पक्ष जमा कर चुका है। मुस्लिम पक्ष ने भी अपने जवाब में कहा कि वर्शिप 1991 में 7 रूल 11 और लिमिटेशन एक्ट के अनुसार यह मामला चलने योग नहीं है, लेकिन हिंदू पक्ष ने भी अपनी दलील में कहा कि यह जमीन पर अतिक्रमण हुआ था और इस स्थान पर पहले भी कई बार केस चल चुका है, इसलिए यह जमीन, यह स्थान पर वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता है, इस स्थान पर हमेशा से मुगल शासको ने कई बार आक्रमण किया था और कई बार हिंदू राजाओं ने हिंदू मंदिर को बनाया था।

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न्यायालय से गुहार
यह स्थान मुस्लिम शासकों के निशाने पर रहा है, ज्ञानव्यापी पर भी यही मामला हुआ था, यहां पर भी मुगल शासकों द्वारा अवैध कब्जा किया गया था। हिंदू पक्ष, ज्ञानव्यापी को आधार बनाते हुए न्यायालय से गुहार लगाई थी कि यहां पर भी यह मुकदमा चलने योग्य है और सर्वे का आर्डर होना चाहिए।

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मुगल शासकों ने तलवार के दम पर किया था अवैध कब्जा
हिंदूवादी नेता दिनेश शर्मा ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास ऐसा कोई भी प्राचीन साक्ष्य नहीं है, जिससे वह यह कह सके कि यहां पहले मस्जिद बनी थी, लेकिन हिंदू पक्ष के पास में इतने प्राचीन साक्ष्य हैं, वह साक्ष्य के आधार पर कह सकते हैं कि यहां पर पहले मंदिर था, मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। दिनेश शर्मा ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई थी, यहां पर मुगल शासकों द्वारा तलवार के दम पर अवैध कब्जा किया गया था लेकिन हिंदू भाइयों ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी कलम की ताकत से न्यायालय के सहयोग से यह लड़ाई जीतेंगे।

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मथुरा में सर्वे की मांग
दिनेश शर्मा ने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है न्यायालय पर, न्यायालय सबूत के आधार पर फैसला देती है और हम एक न एक दिन यह लड़ाई जरूर जीतेंगे क्योंकि संपूर्ण विश्व जानता है कि यहां पर मुगल शासकोंं द्वारा अतिक्रमण हुआ था। उन्होंने कहा कि ज्ञानव्यापी पर सर्वे हो चुका है और सर्वे की रिपोर्ट विभाग के अधिकारी द्वारा लगाई जा चुकी है, वहां भी मंदिर होने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि यदि मथुरा में सर्वे हो जाएगा तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा और यहां पर भी प्राचीन मंदिर के साक्ष्य मिल जाएंगे।

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