मराठा आरक्षण: समाज का नाम दल का काम, पार्थ का सियासी चक्रव्यूह!

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सुशांत सावंत

मराठा आरक्षण को लेकर समाज आक्रामक है। उसे हर हाल में आरक्षण चाहिए इसके लिए वो हर कीमत देने को तैयार है। इस बीच पवार परिवार ने सियासी चक्रव्यूह रचना शुरू कर दिया है। वे आरक्षण के मुद्दे पर सभी मराठा नेताओं को एकत्र करने की कोशिश में हैं।

सर्वोच्च न्यायालय से मराठा आराक्षण के क्रियान्वयन पर स्थगिति मिलने के बाद समाज में असंतोष है। न्यायालय ने इस मुद्दे को अब संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया तो महाराष्ट्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर दी जिससे वह रुक गई। लेकिन इस पूरे प्रकरण से हमेशा शक्तिशाली और सामर्थ्यशाली रहा मराठा समाज उग्र हो गया है। मराठा आरक्षण को लेकर सभी नेता समर्थन में हैं मंच भले ही अपना-अपना हो। लेकिन चुंकी मराठा नेता सभी दलों में हैं और मराठा आरक्षण दिलाने के लिए बने मंच राजनीति को नहीं मानते इसलिए यहां राजनीति की रोटी सेंकना इन्हें टेढ़ी खीर लगती है।

इस बीच पवार परिवार की नई पीढ़ी ने नए-नए कार्यों को हाथ में ले लिया है। उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार के पुत्र पार्थ पवार ने मराठा नेताओं को एकत्र होने का आह्वान किया है। पार्थ पवार यद्यपि मराठा नेताओं के बीच अपनी आयु और अनुभव के अनुरूप अभी बहुत छोटे हैं लेकिन पूत के पैर पालने में ही दिख जाते हैं। हाल की हलचल को देखकर लगता है कि पवार परिवार सरकार में रहने का पूरा उपयोग कर लेना चाहता है। शरद पवार राज्य में सियासी समीकरण की चौसर अपने पक्ष में करके रखे हुए हैं तो दूसरी तरफ अजीत पवार उप-मुख्यमंत्री होने के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में पूरा प्रशासन अपने नियंत्रण में रखकर चल रहे हैं। ऐसे में छोटे पवारों की एंट्री भी अब दीपावली के छोटे पटाखों जैसा सुखद अनुभव देने लगी है। राम मंदिर से लेकर भाजपा के नगरसेवकों को तोड़कर राकांपा में शामिल कराने का कार्य ये छोटे पवार कर रहे हैं। ऐसे में चुनाव के समय राकांपा से टूटकर अन्य दलों में गए मराठा नेताओं की लामबंदी करने का कार्य पार्थ पवार करते नजर आ रहे हैं।

पार्थ का चक्रव्यूह किसलिए?
मराठा आरक्षण के समर्थन के नाम पर यदि छोटे पवार मराठा नेताओं को अपने सजाए मंच पर लाने में सफल होते हैं तो ये बड़ा धमाका होगा। जिसकी गूंज लंबी जाएगी। इससे राकांपा सियासी रूप से प्रबलता हासिल करेगी तो दूसरी तरफ सरकार में सम्मिलित दूसरी रीजनल पार्टी शिवसेना के साथ रहकर उससे आगे निकलने की कलाबाजी भी सिद्ध होगी तो तीसरा लाभ होगा मराठा समाज के समर्थन के रूप में। जो आरक्षण दिलाएगा दिल पर राज करेगा।
बता दें कि शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित दो छत्रपति राजाओं से आह्वान किया था कि वे केंद्र सरकार से आरक्षण दिलाएं। शरद पवार ने आरक्षण न मिल पाने के लिए केंद्र सरकार के मत्थे जवाबदारी की ठीकरा फोड़ दिया था। सीनियर पवार जब सियासत के ऊंचे दांव खेल रहे हैं तो पौत्र कहा पीछे रहता। उसने भी मराठा आरक्षण के मुद्दे पर आत्महत्या करनेवाले विवेक नामक युवक का मुद्दा उठाया और उसके हवाले से सभी मराठा नेताओं को एकत्र आने का अह्वान कर दिया।

पार्थ का सारथी कौन?
पार्थ पवार के ट्वीट पर कांग्रेस और शिवसेना नेताओं की अलग राय है। वे पार्थ पवार के कदमों के शरद पवार के विरुद्ध बता रहे हैं। लेकिन ऐसा पार्थ से करने के लिए कौन कह रहा है? ये सबसे बड़ा प्रश्न है। कुछ जानकार तो कहते हैं कि पार्थ पवार और रोहित पवार अपने-अपने स्तर पर अपनी क्षमताओं को बड़ा दिखाने की कोशिश में हैं। रोहित पवार के साथ शरद पवार का पूरा मार्गदर्शन है तो पार्थ और शरद पवार में पटती नहीं है यही अब तक सामने आता रहा है। ऐसे में पार्थ की सियासत का सारथी कौन ये सबसे बड़ा सवाल है?
राज्य में मराठा शक्ति का अंकलन इसी से किया जा सकता है कि वे जनसंख्या में कहां हैं। इसी के उत्तर में छिपा है वो आधार है जिसके कारण यह समाज सभी को मनभावन लगता है। शरद पवार का समय, उद्धव ठाकरे का तीर और फडणवीस का कमल इसी के समक्ष नमित हो जाता है।

मन भावन मराठा शक्ति
* महाराष्ट्र में मराठा जनसंख्या 3.5 करोड़
* सभी राजनीतिक दलों में मराठा प्रतिनिधि

राज्य में अब तक 14 बार मराठा समाज का व्यक्ति मुख्यमंत्री रहा है। जनसंख्या की दृष्टि से भी मराठा समाज निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। लेकिन इसके बावजूद धरातल की सच्चाई कुछ अलग ही है।
* गरीबी रेखा के नीचे मराठा 37.28
* कच्चे घरों में रहते हैं 70.56
* अल्प भूधारक 62.74
एक छोटा वर्ग जहां सत्ता में रहकर राज्य की राजनीति को चला रहा है तो दूसरा वर्ग अपनी राजनीति को जमाने के लिए समाज के बीच दौड़ रहा है। लेकिन यथार्थ यही है कि समाज को वो मर्यादा पुरुषोत्तम चाहिए जो समाज के नीचले हिस्से की सोंचे उसके लिए आरक्षण जैसी सहायताओं को उपलब्ध कराए बनिस्बत सियासी पार्थ के…

 

 

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