Lok Sabha Elections: जेल से सरकार, जानिये कैसा है दिल्ली का हाल

कानून के जानकारों का कहना है कि नए मंत्री के नाम की सिफारिश केजरीवाल ही कर सकते हैं, लेकिन जेल नियमावली वहां से उनका कोई सरकारी कामकाज करने की अनुमति नहीं देती, इस कारण मैटर फंस गया है।

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नरेश वत्स
Lok Sabha Elections: भारत की राजनीति में केजरीवाल नैतिकता की सारी हदें पार कर दी हैं। वह जेल से देश की राजधानी दिल्ली की सरकार चलाने की अपनी जिद पर अड़े हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी सरकार की 6 सदस्यीय कैबिनेट में शामिल रहे मंत्री राजकुमार आनंद ने भले ही इस्तीफा देकर नैतिकता का परिचय दिया है। लेकिन अब उनके स्थान पर नए मंत्री की नियुक्ति संभव नहीं लग रही है। इसमें सबसे बड़ी बाधा है, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जेल में होना। विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है कि दिल्ली में कामकाज ठप हो गया है और संवैधानिक संकट बढ़ता जा रहा है।

क्या कहते हैं कानून के जानकार?
कानून के जानकारों का कहना है कि नए मंत्री के नाम की सिफारिश केजरीवाल ही कर सकते हैं, लेकिन जेल नियमावली वहां से उनका कोई सरकारी कामकाज करने की अनुमति नहीं देती, इस कारण मैटर फंस गया है। राजकुमार आनंद के विभागों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर अन्य मंत्रियों में बांटने की संस्तुति भी मुख्यमंत्री के माध्यम से ही उपराज्यपाल को भेजी जा सकती है और इस बारे में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना स्वयं निर्णय नहीं ले सकते।

न्यायालय का हस्तक्षेप से इनकार
पूर्व सचिव , दिल्ली विधानसभा एसके शर्मा कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू है तो कोई बड़ा निर्णय या घोषणा वैसे ही प्रतिबंधित है, इसके साथ ही दिल्ली कैबिनेट में बदलाव की संस्तुति मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं।  ऐसी स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है, जब किसी सत्तासीन मुख्यमंत्री को जेल हुई है। पहले जिस भी मुख्यमंत्री को जेल जाना पड़ा था, लेकिन तब उन्होंने पहले इस्तीफा दे दिया था। केजरीवाल के मामले में न्यायालय भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर चुका है।

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राष्ट्रपति शासन ही विकल्प ?
दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा कहते हैं कि राष्ट्रपति शासन अंतिम विकल्प है। यहां राष्ट्रपति शासन लगने जैसी स्थिति नहीं है। सत्ता पक्ष के सामने राजनीतिक संकट नहीं है। मुख्यमंत्री जेल में हैं। सत्ता पक्ष को चाहिए कि दूसरा नेता चुने और सरकार चलाए।

जल संकट से हाहाकार
दक्षिणी दिल्ली के कई क्षेत्रों में जल आपूर्ति की गंभीर समस्या बनी हुई है। टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने की संख्या भी कम हो गई है। आया नगर, बाबू कैंप, संभव कैंप, मैदान गढ़ी, संजय कॉलोनी, भाटी माइंस, इंदिरा एनक्लेव, फ्रीडम फाइटर कॉलोनी, दिल्ली के कई इलाकों में लोग पीने के पानी की कमी की शिकायत कर रहे हैं। जल संकट के कारण लोगों की दिनचर्या बिगड़ गई है और राजधानी में हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार की दिल्ली सरकार की जल मंत्री आतिशी मारलेना ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव अन्य वरिष्ठ अधिकारी आदर्श आचार संहिता लागू होने का बहाना बनाकर काम रोक रहे हैं। गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले ही जल आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर मुख्य सचिव को कई बार निर्देश दिए गए हैं, लेकिन काम नहीं हुआ है।

अन्य कामकाज भी ठप
पानी संकट के साथ ही दिल्ली के कामकाज की फाइलें भी अटक गई हैं। इस कारण काम-काज पर बुरा असर पड़ रहा है। दिल्ली वालों की शिकायत है कि राजधानी के विकास के सभी काम ठप पड़ गए हैं,क्योंकि जेल से काम करने की एक सीमा है, लेकिन केजरीवाल और उनकी सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लोगों का कहना है कि वे जेल से सरकार चलाने का नाटक कर लोकभा में मतदाताओं की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन केजरीवाल का कथित ड्राना सबकी समझ में आ रहा है और इसका खमियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

कमियों के लिए केंद्र पर आरोप
केजरीवाल सरकार हमेशा से अपनी कमियों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर आरोप लगा देती है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं कि आम आदमी पार्टी अपनी कमियों को छिपाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है। हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हउए उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा में से 62 विधायकों वाली पार्टी को अब राष्ट्रपति शासन का भय सता रहा है। दिल्ली की जनता पानी जैसी समस्या से जूझ रही है। लेकिन केजरीवाल सरकार बहाने बना रही है। आप नेताओं को झूठी कहानी बनाने की जगह मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने की सलाह देनी चाहिए। केजरीवाल को इस्तीफा देकर नए मुख्यमंत्री को सत्ता सौंपना चाहिए, जिससे दिल्ली का प्रशासन सुचारू रुप से चल सके।

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