Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकती है टिकटों की अदला- बदली, जानें क्यों

क्योंकि इनमें से ज्यादातर सीटे मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव वाली है। पिछले लोकसभा चुनाव में इनमें से पांच सीटों पर बीजेपी हार गई थी। विपक्षी गठबंधन अपनी अंदरूनी लड़ाई से जूझ रहा है अलग ताल ठोक रही बसपा का दलित मुस्लिम फैक्टर भी कुछ सीटों पर सपा कांग्रेस के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election) के लिए पहले चरण का मैदान सज चुका है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की 80 में से जिन 8 सीटों पर सबसे पहले 19 अप्रैल को मतदान होना है । इसमें पीलीभीत, बिजनौर, नगीना, कैराना, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, रामपुर और मुरादाबाद शामिल है। इन सीटों पर सभी दल किस तरह से उलझ गए हैं? इसे आसानी से समझा जा सकता है। मुस्लिम बाहुल्य इन सीटों पर भाजपा के लिए तुलनात्मक रूप से इसे चुनौती वाला चरण माना जा सकता है।

क्योंकि इनमें से ज्यादातर सीटे मुस्लिम मतदाताओं के प्रभाव वाली है। पिछले लोकसभा चुनाव में इनमें से पांच सीटों पर बीजेपी हार गई थी। विपक्षी गठबंधन अपनी अंदरूनी लड़ाई से जूझ रहा है अलग ताल ठोक रही बसपा का दलित मुस्लिम फैक्टर भी कुछ सीटों पर सपा कांग्रेस के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। यह चरण सपा- कांग्रेस के लिए मुस्लिम बाहुल्य अधिक होने के कारण तो बसपा के लिए दलितों की आबादी के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

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एनडीए गठबंधन के नए साथी राष्ट्रीय लोकदल के प्रभाव की परीक्षा?
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रदेश की जिन 16 सीटों पर हारी थी उनमें से पांच तो इन्हीं आठ सीटों में से थी बिजनौर, नगीना सुरक्षित व सहारनपुर में बसपा को विजय मिली थी तो रामपुर, मुरादाबाद समाजवादी पार्टी की झोली में गई थी। हालांकि उपचुनाव में रामपुर सीट भाजपा ने जीत ली थी। लेकिन इस बार दलित और यादव वोटो के दम पर चुनौती देने वाली सपा और बसपा अलग -अलग चुनाव लड़ रही है ।

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आजम खान और समाजवादी पार्टी आमने-सामने
विपक्षी गठबंधन का सिर दर्द भी बढ़ रहा है । रामपुर से सपा प्रत्याशी मोहिबुल्लाह के सामने आजम समर्थक असीम राजा ने नामांकन कर दिया है। वोटों में सेंध बसपा के जीशान खान भी लगा सकते हैं ।जिसे भाजपा के वर्तमान सांसद घनश्याम लोधी अपने लिए लाभदायक मान रहे होंगे ।मुरादाबाद में वर्तमान सपा सांसद एसटी हसन और रुचि वीरा के बीच सपा के अधिकृत प्रत्याशी घोषित होने को लेकर चला नाटकीय घटनाक्रम चला। भाजपा के सर्वेश सिंह का मुकाबला सपा कांग्रेस की तरह मुस्लिम मतों के दावेदार बसपा के इरफान सैफी भी है। आजम खान इस बार अखिलेश यादव को सबक सिखाने के मूड में है।

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कैराना, मुजफ्फरनगर सीटों पर ध्रुवीकरण
कैराना, मुजफ्फरनगर ऐसी सीटें हैं जहां ध्रुवीकरण असर डालता है कैराना से सपा ने इकरा हसन को मैदान में उतारा है तो बहुजन समाज पार्टी ने श्रीपाल सिंह को। प्रदीप को चुनाव लड़ा रही भाजपा के साथ इस बार जाटों पर पकड़ रखने वाली पार्टी रालोद भी है।

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