केजरीवाल ने कांग्रेस के सामने रखी ऐसी शर्त, नहीं माने तो विपक्षी में एकता में फूट तय

पटना में चली विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस ने दिल्ली पर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ अपना सार्वजनिक रुख नहीं रखा।

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दिल्ली (Delhi) में केंद्र के अध्यादेश (Ordinance) के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) राज्यों में जाकर राजनीतिक दलों (Political Parties) से समर्थन मांग रहे हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर शुक्रवार (23 जून) को पटना में विपक्षी दलों (Opposition Parties) की बैठक हुई, जिसमें अरविंद केजरीवाल शामिल हुए लेकिन संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिखे। लेकिन पटना में राजनीतिक दलों की बैठक पर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने बयान जारी किया है। जिसमें आप ने कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक कांग्रेस पार्टी सार्वजनिक रूप से केंद्र के अध्यादेश का विरोध नहीं करती, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए भविष्य में होने वाली विपक्षी बैठकों में शामिल होना मुश्किल होगा।

आप ने एक बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया काला अध्यादेश न केवल दिल्ली की चुनी हुई सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेगा, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी खतरा पैदा करेगा। यदि इसका विरोध नहीं किया गया तो अन्य राज्यों में भी अध्यादेश लाया जाएगा जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राज्य सरकारों की शक्ति को नुकसान पहुंचाएगा। इस काले अध्यादेश को हराना बहुत जरूरी है।

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राज्यसभा में विरोध
अपने बयान में आप ने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों की एक बैठक पटना में हुई जिसमें 15 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। लेकिन कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों ने काले अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख साफ तौर पर जाहिर कर दिया है कि वे सभी राज्यसभा में इसका विरोध करेंगी। काला अध्यादेश संविधान विरोधी, संघीय विरोधी और पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा, यह इस मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटना चाहता है और न्यायपालिका का अपमान है।

राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे राज्यसभा सांसद
आप ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी ठीक नहीं है। अगर राज्यसभा में इस अध्यादेश पर वोटिंग होती है तो कांग्रेस इससे दूर रह सकती है। जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से केंद्र के काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और यह घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, आप के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा। अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।

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