संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद पर भारत की दो टूक, जानें क्या ?

विश्व समुदाय को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने की कोशिश करने वालों पर गौर नहीं करना चाहिए। आइए, हम सब मतभेदों को दूर रखकर एकजुट हों। आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने का दृष्टिकोण अपनाएं।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) में इजराइल-हमास संघर्ष विराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे भारत (India) ने आतंकवाद (terrorism) पर एक बार फिर अपना दृष्टिकोण दुनिया के सामने रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद हानिकारक है। आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती। इसकी न कोई राष्ट्रीयता होती है और न ही कोई नस्ल। विश्व समुदाय को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने की कोशिश करने वालों पर गौर नहीं करना चाहिए। आइए, हम सब मतभेदों को दूर रखकर एकजुट हों। आतंकवाद को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने का दृष्टिकोण अपनाएं। मीडिया रिपोर्ट्स में भारत के आतंकवाद पर इस नजरिये को तरजीह दी गई है।

भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा कि मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए। साथ ही इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर गहराई से चिंता करनी चाहिए। बड़े पैमाने पर तीव्र हिंसा से बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान होता है।

राजनीतिक उद्देश्य के लिए हिंसा का इस्तेमाल नुकसानदायक
उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य को हासिल करने के साधन के रूप में हिंसा का इस्तेमाल भारी नुकसान पहुंचाता है। योजना पटेल ने इजराइल में सात अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमलों को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि यह निंदनीय हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि महासभा में इस चर्चा से आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ साफ संदेश जाएगा। इससे कूटनीति एवं बातचीत की संभावना का विस्तार होगा। इस समय सामने मौजूद मानवीय संकट से निपटने में मदद मिलेगी। भारत इस संघर्ष में आम नागरिकों की बड़ी संख्या में हुई मौत को लेकर बहुत चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत, बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करता है।

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