धमनियों में हिंदुत्व तो सावरकर के अपमानियों के साथ क्यों?

हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है। हमारा हिंदुत्व अवसरों का नहीं है। हमारा हिंदुत्व धमनियों में भिन गया है। हिंदुत्व क्या धोती है कि छोड़ दिया? इन शब्द बाणों से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और बीजेपी पर हमला करनेवाले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर दिया है।

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हिंदुत्व के मुद्दे पर विपक्ष और महामहिम राज्यपाल पर टिप्पणी करनेवाले मुख्यमंत्री सवालों के घेरे में हैं। सरकार की वर्ष पूर्ति पर बीजेपी ने सीएम की टिप्पणियों का कड़ा उत्तर दिया है। बीजेपी ने सीएम से प्रश्न भी किया है कि यदि आपका हिंदुत्व धमनियों में दौड़ रहा है तो स्वातंत्र्यवीर सावरकर का अपमान करनेवालों के संग सटकर कैसे बैठ गए?

हमने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है। हमारा हिंदुत्व अवसरों का नहीं है। हमारा हिंदुत्व धमनियों में भिन गया है। हिंदुत्व क्या धोती है कि छोड़ दिया? इन शब्द बाणों से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और बीजेपी पर हमला करनेवाले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने उत्तर दिया है। फडणवीस ने कड़ा प्रहार करते हुए प्रश्न किया कि यदि आपकी धमनियों में हिंदुत्व प्रवाहित है तो आप किसके साथ गांठ जोड़कर बैठे हो? वो जिन्होंने स्वातंत्र्यवीर सावरकर का अपमान किया? हिंदुत्व को धोती कहते हो? आपने हिंदुत्व कबका छोड़ दिया। बीजेपी ने कभी हिंदुत्व नहीं बदला।

क्या कहा था साक्षात्कार में सीएम ने?

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली सरकार एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर रही है। इसी पार्श्वभूमि पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक साक्षात्कार दिया है। इसमें दर्शन के लिए मंदिर खोलने की मांग और सीएम को हिंदुत्व का स्मरण करानेवाला पत्र लिखने पर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी पर टिप्पणी की गई है। इसमें सीएम ने कहा कि हिंदुत्व धोती नहीं है, जिसे छोड़ दिया जाए। हिंदुत्व धमनियों में होना चाहिए।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र से नहीं मिले सीएम

भोपाल में कांग्रेस सेवादल के कार्यक्रम में बांटी गई पुस्तक में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विषय में आक्षेपार्ह टिप्पणियां की गई थीं। इसके संज्ञान में आते ही इसका कड़ा विरोध शुरू हो गया। पुस्तक पर प्रतिबंध की मांग लेकर स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे से मिलने उनके सरकारी कार्यालय मंत्रालय गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री रणजीत सावरकर से नहीं मिले। मुख्यमंत्री से भेंट न होने पर रणजीत सावरकर ने अपना लिखित निवेदन मुख्यमंत्री कार्यालय में जमा कर दिया था।

उस समय रणजीत सावरकर ने कहा था कि, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए आया था। मैंने उनसे भेंट करने के लिए समय मांगा था। लेकिन, वे मुझसे नहीं मिले। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के सम्मान के विषय में बात करने के लिए मैं यहां आया था। परंतु उद्धव ठाकरे के पास एक मिनट का समय भी नहीं है। मुख्यमंत्री के इस व्यवहार से मैं निराश हूं।

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