20th ASEAN-India Summit: प्रधानमंत्री ने रखे छह प्रमुख प्रस्ताव, जानें क्या ?

ग्लोबल साउथ आज कई चुनौतियों से जूझ रहा है, जैसे- भोजन, उर्वरक, ईंधन और जलवायु परिवर्तन। हमें मल्टीलैटरल फोरम में ग्लोबल साउथ की साझा चिंताओं को साथ मिलकर उठाना होगा। भारत में WHO द्वारा "ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन” बनाया जा रहा है। मैं आप सब को इससे जुड़ने का न्योता देता हूँ।

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20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (20th ASEAN-India Summit) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चन्द्रयान की सफलता सिर्फ़ भारत का नहीं पूरी मानवजाति की उपलब्धि है। इससे हमारी युवा पीढ़ी को विज्ञान में आगे बढ़ने का इंस्पिरेशन मिलेगा। इससे मानव कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी को और अधिक सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए मैं छह मुख्य क्षेत्रों में सहयोग के प्रस्ताव रखना चाहता हूँ।

मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बनाना
पहला है – Connectivity Trilateral Highway और उसके विस्तार (extension) पर हम पहले से काम कर रहे हैं। समुद्री सहयोग(Maritime Cooperation) पर हमारे संयुक्त बयान (joint statement)  का मैं स्वागत करता हूँ मेरा विज़न हैं कि एक ऐसी मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और आर्थिक कोरिडोर (economic corridor) तैयार किया जाये जो दक्षिण – पूर्व एशिया (South East Asia) से लेकर कर भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप को जोड़े।

Fund for Digital Future की स्थापना की घोषणा
इसमें लॉजिस्टिक, सप्लाई चेन, इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लीन ऊर्जा और सोलर ग्रिड जैसे क्षेत्रों पर फ़ोकस किया जा सकता है। दूसरा क्षेत्र है – डिजिटल परिवर्तन डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital transformation Digital Economy) हमारी फ्यूचर ग्रोथ का कैटलिस्ट है। भारत में हमने साइबर सुरक्षा (Cyber security) और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (digital public infrastructure) पर बल दिया है। भारत में विकसित “डिजिटल India Stack” आप सब के साथ साझा करने में हमें ख़ुशी होगी।इस संदर्भ में, मैं “आसियान-भारत Fund for Digital Future” की स्थापना की घोषणा करता हूँ।

तीसरा बड़ा क्षेत्र है व्यापार और आर्थिक जुड़ाव। पिछले वर्ष “आसियान-भारत Trade in Goods Agreement” में हुई प्रगति का स्वागत है। हमें इसके रिव्यू को समय-बद्ध तरीके से पूरा करना होगा। साथ में ‘आसियान-भारत स्टार्ट अप फेस्टिवल’ और ‘इनोवेशन समिट’ जैसी पहलों को भी आगे बढ़ाना चाहिए। इस संदर्भ में, हमने “Economic and Research Institute of आसियान and East Asia” को अपने सपोर्ट को नवीकरण करने का निर्णय लिया है।

समकालीन चुनौतियों का सामना
चौथा क्षेत्र है – समकालीन चुनौतियों का सामना । ग्लोबल साउथ आज कई चुनौतियों से जूझ रहा है, जैसे- भोजन, उर्वरक, ईंधन और जलवायु परिवर्तन। हमें मल्टीलैटरल फोरम में ग्लोबल साउथ की साझा चिंताओं को साथ मिलकर उठाना होगा। भारत में WHO द्वारा “ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन” बनाया जा रहा है। मैं आप सब को इससे जुड़ने का न्योता देता हूँ। मिशन जिंदगी, यानी Lifestyle for Environment जैसी पहल पर मिलकर हमें काम करना चाहिए। हम भारत में जन-औषधि केंद्रों द्वारा लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवा व्यापक रूप से उपलब्ध करवा रहे हैं। अपने अनुभवों को आप सब के साथ साझा करने में हमें ख़ुशी होगी।

इंडो-पेसिफिक क्षेत्र की प्रगति में हमारे साझा हित
पाँचवाँ है – people-to-people contacts इस संदर्भ में हमें शिक्षा, साइंस & टेक्नॉलजी, रिसर्च, टूरिज़म और यूथ पर फोकस करना चाहिए। छठा क्षेत्र है – हमारी स्ट्रटीजिक Engagement को सशक्त बनाना । इंडो-पेसिफिक क्षेत्र (Indo-Pacific region) की शांति, सुरक्षा,समृद्धि, और प्रगति में हमारे साझा हित हैं।हमने इस साल maritime exercises शुरू की है। South China Sea के लिए कोई भी आचार संहिता (code of conduct), UNCLOS (अंक्लौस) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप होनी चाहिए। इसमे उन देशों के हितों का भी ध्यान रखना होगा जो इन चर्चाओं में शामिल नहीं हैं।

आतंकवाद एक गंभीर खतरा
प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए आतंकवाद एक गंभीर खतरा है। हमें मिलकर आतंकवाद, आतंक वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के विरुद्ध निर्णायक प्रयास करने होंगे। मेरा प्रस्ताव हैं कि हम मिलकर पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में भी आपसी सहयोग बढ़ाएं। हमें आपदा प्रबंधन और समुद्री डोमेन जागरूकताके क्षेत्र में भी सहयोग करना चाहिए।

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