हिंदू पूजा पद्धति में क्या है चावल (अक्षत) के उपयोग का महत्व?

अक्षत का उपयोग पूजा समेत सभी धार्मिक कार्यों में किया जाता है। इसका महत्व क्या है इसे जानना आवश्यक है।

557
अक्षत कुमकुम

हिंदू पूजा में तांदुल, अक्षत अर्थात चावल का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इसे हवन में उपयोग किया जानेवाला शुद्ध अन्न माना जाता है। अक्षत का अर्थ ही है, जिसकी कभी क्षति न हो अर्थात जिसका नाश न हो। ऐसी मान्यता है कि, कच्चा चावल या अक्षत सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

हिंदू पूजा अक्षत के रूप में जिस चावल का उपयोग करते हैं, वह अखण्डित होना चाहिए। इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है, इसे पवित्र राख (भस्म) के समान मान्यता है। इसें माथे पर तिलक के रूप लगाने से नकारात्मक ऊर्जा और तरल अशुद्धियां अवशोषित हो जाती हैं। हमारा माथा गुरु/अग्नि चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू संस्कृति में सभी रीतियां ऊर्जा के द्वारा शरीर और मन को मजबूत करने के लिए प्रेरित हैं। मानव शरीर के लिए पाँच पदार्थ आवश्यक हैं, उसमें अन्न, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद का समावेश है।

चावल को हिंदू संस्कृति के अनुष्ठानों में पवित्र पदार्थ के रूप में सम्मिलित किया जाता है। इसे देवों को अर्पित व अभिमंत्रित किया जाता है । इसका उपयोग परमात्मा से आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। त्यौहार, विवाह या पूजा के समय शुभ शुरुआत के रूप में व्यक्ति को तिलक लगाया जाता है। इसमें चंदन के साथ अक्षत का समावेश होता है।

ये भी पढ़ें – श्रावण मास में जानें देवाधिदेव महादेव के 108 नाम

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.