जानिये… हिंदु धर्म में कितने संप्रदाय हैं? कैसे हुई इन संप्रदायों की उत्पत्ति?

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हिंदुस्थान आस्थाओं का देश है। यहां आस्थाएं मंदिर, मठों में जुड़कर भव्यता प्राप्त करती हैं। हिंदू धर्म अपने आप में विश्व का प्राचीनतम् इतिहास समेटे हुए है। इसमें पांच संप्रदाय हैं जो अपनी मान्यताओं के अनुसार देवताओं को पूजते हैं। हालांकि सभी की उत्पत्ति का मूल वेद है।
प्राचीनकाल में देव, नाग, किन्नर, असुर, गंधर्व, भल्ल, वराह, दानव, राक्षस, यक्ष, किरात, वानर, कूर्म, कमठ, कोल, यातुधान, पिशाच, बेताल, चारण आदि जातियां हुआ करती थीं। देव और असुरों के युद्ध के चलते धरती के अधिकतर मानव समूह दो भागों में बंट गए। पहले बृहस्पति और शुक्राचार्य के बीच युद्ध हुआ फिर गुरु वशिष्ठ और विश्‍वामित्र की लड़ाई चली। इन युद्धों के चलते समाज भागों में बंटता गया। हजारों वर्षों तक इनके झगड़े के चलते ही पहले सुर और असुर नाम की दो धाराओं का धर्म प्रकट हुआ, यही आगे चलकर यही वैष्णव और शैव में बदल गए। लेकिन इस बीच वे लोग भी थे, जो वेदों के एकेश्वरवाद को मानते थे और जो ब्रह्मा और उनके पुत्रों की ओर से थे। इसके अलावा अनीश्वरवादी भी थे। कालांतर में वैदिक और चर्वाकवादियों की धारा भी भिन्न-भिन्न नाम और रूप धारण करती रही।
इस तरह वेद और पुराणों से उत्पन्न 5 तरह के संप्रदायों की मान्यता है:-

1. वैष्णव : वैष्णव संप्रदाय के लोग विष्णु को ही परमेश्वर मानते हैं

2. शैव : शैव संप्रदाय के लोग शिव को परमेश्वर ही मानते हैं

3. शाक्त : शाक्त देवी को ही परमशक्ति मानते हैं।

4 स्मार्त : स्मार्त परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं।

5. वैदिक संप्रदाय : वैदिक संप्रदाय ब्रह्म को निराकार रूप जानकर उसे ही सर्वोपरि मानता है।

 

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