अब चुटकी बजाते ही होगी असली-नकली दवाओं की पहचान! कैसे, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

केंद्र सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के उपयोग को रोकने और उसकी गुणवत्ता के बारे में पता लगाने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है।

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दवाई लेते समय मरीज और उसके परिजनों के मन में कई तरह के संदेह होते हैं। जैसे दवाई असली तो है ना? कहीं ये नुकसान तो नहीं करेगी ? लेकिन इस तरह की शंका का समाधान जल्द ही होने वाला है। केंद्र सरकार ने नकली और घटिया दवाओं के उपयोग को रोकने और उसकी गुणवत्ता के बारे में पता लगाने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है। ये सिस्टम सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं पर लागू किया जाएगा। पहले चरण में 300 दवाओं पर यह सिस्टम लागू होगा। इन पर पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआरकोड का प्रिंट किया जाएगा। इसी तरह चरणबद्ध तरीके से अन्य दवाओं पर भी ये व्यवस्था की जाएगी।

इसलिए सरकार ने लिया है ये निर्णय
प्राप्त जानकारी के अनुसार बोतल, कैन, जार या ट्यूब में दवाओं की बिक्री की जाती है। बार कोड सिस्टम में 100 रुपए से अधिक दाम वाले एंटिबायोटिक, कार्डिएक, पेन किलर और एंटी एलर्जी की दवाओं को शामिल किया जाएगा। हालांकि इस तरह की व्यवस्था पर एक दशक पहले कानून बनना था, लेकिन घरेलू फार्मा उद्योग की मांग पर इस पर रोक लगा दी गई थी। सरकार ने यह निर्णय नकली दवाओं के बढ़ते कारोबार को लेकर लिया है।

पोर्टल से मिलेगी जानकारी
यह व्यवस्था लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा विकसित एक पोर्टल पर यूनिक कोड फीड करके दवा की वास्तविकता की जांच की जा सकेगी। इसे मोबाइल फोन या टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से भी ट्रैक किया जा सकेगा।

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