डब्ल्यूएचओ चीफ का नरसंहार कनेक्शन?

डेविड का आरोप है कि टेड्रोस अधनोम महत्वपूर्ण निर्णयकर्ताओं में शामिल होने के नाते वर्ष 2013 से 2015 तक इथोपिया के सुरक्षा बलों को एक बड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था। इस दौरान बड़ी संख्या में इथोपिया के लोगों को प्रताड़ित किया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी।

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कोरोना महामारी को लेकर चीन को साथ देने के आरोप झेल रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन( डब्ल्यूएचओ) के हेड टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस एक और आरोप में बुरी तरह घिर गए हैं। उनके खिलाफ नोबल पुरस्कार के लिए नामित अमेरिकी अर्थशास्त्री डेविड स्टेइनमान ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। डेविड ने डब्ल्यूएचओ चीफ पर इथोपिया में नरसंहार में मदद करने का आरोप लगाया है।

ये है आरोप
डेविड का आरोप है कि टेड्रोस अधनोम महत्वपूर्ण निर्णयकर्ताओं में शामिल होने के नाते वर्ष 2013 से 2015 तक इथोपिया के सुरक्षा बलों को एक बड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था। इस दौरान बड़ी संख्या में इथोपिया के लोगों को प्रताड़ित किया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी। उन दिनों टेड्रोस उन अधिकारियों में शामिल थे, जो उस दौरान सुरक्षा सेवाओं के प्रभारी थे।

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इथोपिया में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं टेड्रोस 
बता दें कि टेड्रोस वर्ष 2016 तक इथोपिया के विदेश मंत्री थे। उस समय उनकी पीपल्स लिबरेशन फ्रंट पार्टी सत्ता में थी। वहां के तिगरे इलाके में पले-बढ़े टोड्रोस वर्ष 2005 से लेकर 2012 तक इथोपिया के स्वास्थ्य मंत्री थे। वर्ष 2017 में उन्हें डब्ल्यूएचओ का चीफ चुना गया। वे पहले ऐसे अफ्रीकी नेता हैं, जिन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि उनका यह कार्यकाल विवादों में रहा है। उनके इसी कार्यकाल में कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ। इस मामले में उन पर तथ्य छिपाने और चीन का साथ देने के गंभीर आरोप लगाए गए।

अमेरिकी अर्थशास्त्री डेविड का दावा
अमेरिकी अर्थशास्त्री डेविड को वर्ष 2019 में नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया था। उन्होंने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। उनका कहना है कि इथोपिया मे हुए नरसंहार मामले में मुकदमा चलाया जाना चाहिए। डेविड का दावा है कि डब्ल्यूएचओ ने अमहारा, कोंसो, ओरोमो तथा सोमाली जनजातियों के सदस्यों की हत्याओं और उन्हें शारीरिक तथा मानसिक रुप से नुकसान पहुंचाए जाने का अनदेखा किया। इस नरसंहार का मकसद इथोपियाई जनजातियों को पूरी तरह से उनके कुछ हिस्सों को खत्म कर देना था। ध्यान देनावाली बात यह है कि डेविड इथोपिया के लोकतांत्रिक आंदोलन के 27 साल तक विदेशी सलाहकार रहे थे, जिसे वर्ष 2018 में जीत हासिल हुई।

कोरोना मामले में चीन का पक्ष लेने का आरोप
डब्ल्यूएचओ कोरोना काल में विवादों में रहा। उस पर चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस मामले को छिपाने और चीन का पक्ष लेने के गंभीर आरोप लगाए गए। इस वजह से दुनिया में कोरोना की वजह से तबाही मची, जो आज तक जारी है। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ की कड़ी निंदा भी की गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि वाशिंगटन अब डब्ल्यूएचओ को दी जानेवाली मदद राशि रोक देगा। उनका आरोप था कि संगठन ने नोबल कोरोना वायरस को वक्त रहते समझने में चूक कर दी।

कई देशों के निशाने पर रहा डब्ल्यूएचओ
ट्रंप के साथ ही कई देशों और वैज्ञानिकों नं भी डब्ल्यूएचओ पर चीन का साथ देने का आरोप लगाया था। जनवरी के अंत में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी और संक्रमण को रोकने के लिए चीन के प्रयत्नों की प्रशंसा की थी। यहां तक कि उन्होंने दूसरे देशों से चीन की यात्राएं जारी रखने की सलाह दी थी। यही नहीं, उनपर यह आरोप भी लगा था कि उन्होंने चीन के इशारे पर कोरोना के प्रकोप की जानकारी छिपाई । इस वजह से दुनिया के देशों तक यह जानकारी पहुंचने मे विलंब होने से तबाही मची। कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की इस भूमिका की जांच की भी मांग की थी।

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