द रेशनलिस्ट मर्डर्सः हिंदुओं और हिंदुत्व को बदनाम करने के षड्यंत्र का पर्दाफाश करती पुस्तक

लेखक डॉ. अमित थडानी का दावा है कि पुस्तक द रेशनलिस्ट मर्डर्स में मैंने किसी का पक्ष नहीं लिया है और मैंने सच्चाई को सामने लाने के लिए यह पुस्तक लिखी है। डॉ. अमित थडानी ने कहा, हर 2-3 साल में कुछ लोग नास्तिकों की हत्या के आरोप में पकड़े जाते हैं और उन्हें खूनी कहकर फंसा दिया जाता है।

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देश की पुलिस और जांच एजेंसियों की जांच-पड़ताल के तौर- तरीकों पर सवाल खड़े करती पुस्तक द रेशनलिस्ट मर्डर्स का हाल ही में विमोचन किया गया। मुंबई के सायन स्थित षण्मुखानंद सभागृह में संपन्न एक कार्यक्रम में इस पुस्तक का विमाचोन संपन्न हुआ। पुस्तक के लेखक अमित थडानी पेशे से डॉक्टर हैं और यह उनकी पहली पुस्तक है।

डॉ. थडानी ने इस पुस्तक के लिखने से पहले डॉ. दाभोलकर, गौरी लंकेश आदि पुरोगामियों की हत्याओं के बारे में काफी रिसर्च वर्क किया। लेखक का दावा है कि उन्होंने इस क्रम में सैकड़ों संबंधित खबरें और लेख पढ़े। इसके साथ ही सैकड़ों संबंधित अभियोगों के 10 हजार से अधिक पृष्ठ पढ़े।

लेखक डॉ. थडानी का दावा
लेखक का दावा है कि उन्होंने  विषय से संबंधित अध्ययन और गंभीरता से जांच-पड़ताल के दौरान एजेंसियों की जांच में कई तरह की त्रुटियां पाईं। डॉ. थडानी के अनुसार जांच एजेंसियों के आरोपों और जांच में उन्होंने पाया कि मामले में एजेंसियों और तत्कालीन सरकार द्वारा गरीब एवं सामान्य परिवार से आने वाले युवकों और विरोधी विचारधारा के लोगों को फंसाने तथा बदनाम करने का षड्यंत्र किया गया।

जांच में सुसंगता का अभाव और की त्रुटियां
लेखक ने अध्ययन के दौरान पाया कि डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, कॉ. गोविंद पानसरे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या के बाद जिस तरह से जांच एजेंसियों ने मामलों में जांच की, उसमें कोई सुसंगतता और तर्क नहीं था। इस कारण जांच की दिशा भटक गई । लेखक डॉ. थडानी का दावा है कि पुस्तक द रेशनलिस्ट मर्डर्स में उन्होंने किसी का पक्ष नहीं लिया है और सच्चाई को सामने लाने के लिए यह पुस्तक लिखी गई है।

फॉरेसिंक लैब की रिपोर्ट अलग
डॉ. अमित थडानी ने आगे कहा कि हर 2-3 साल में कुछ लोग नास्तिकों की हत्या के आरोप में पकड़े जाते हैं और उन्हें खूनी कहा जाता है । संबंधित मामलों में हर बार उन्हें फंसाने के लिए किसी गवाह को सामने लाया जाता था। इस क्रम में हर बार हत्यारे और हथियारों को बदल दिया जाता था। हथियार की ‘फॉरेंसिक लैब’ रिपोर्ट अलग होती थी। ठाणे खाड़ी में हथियार का पता लगाने के लिए विदेशी यंत्रणा आयात पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।

 दावों में दम नहीं
डॉ. थडानी ने कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि, हथियार के पार्ट्स को अलग कर खाड़ी में फेंक दिया गया था, जबकि खाड़ी में तलाशी में एक पूरी पिस्तौल बरामद करने का दावा किया गया था। ऐसी तमाम परस्पर विरोधी घटनाएं चार्जशीट में दर्ज हैं। इस संबंध में तत्कालीन जांच एजेंसियों और सत्ता में बैठे राजनीतिज्ञों ने जांच से पहले ही गोडसेवादी विचारधारा के लोगों को दोषी करार दे दिया था। इस राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पुलिस ने उसी दिशा में एकतरफा जांच की। साथ ही कुछ प्रसार माध्यमों ने सच्चाई जानने के बजाय ‘मीडिया ट्रायल’ कर जांच को भटकाने में योगदान दिया । इसका सबसे ज्यादा असर जांच पर पड़ा। हिंदुत्वादी संगठनों से जुड़े निर्दोष लोगों को कई वर्षों तक यातनाएं दी गईं और कारागृह में रखा गया।

हिंदुओं को बदनाम करने की साजिश को उजागर करती पुस्तकः रतन शारदा
रतन शारदा ने इस कार्यक्रम में कहा कि बिना किसी सबूत के हिंदुओं और हिंदुत्व पर आरोप लगाए जाते हैं। हिंदुओं को ‘भगवा आतंकवाद’ कहकर निशाना बनाया जाता है। रतन शारदा ने कहा कि हिन्दू तर्कवादी हैं और वे तर्क से परे किसी भी तरह के तथ्यों पर विश्वास नहीं करते। लेकिन कुछ लोग हिंदुओं को फंसाकर हिंदू धर्म को बदनाम करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के साथ हो रहे अन्याय को इस पुस्तक में बखूबी दर्शाया गया है। उन्होंने डॉ. थडानी द्वारा लिखी गई इस पुस्तक के तथ्यों का समर्थन करते हुए लेखक की प्रशंसा की।

जो सच जानना चाहते हैं वे डॉ. थडानी की पुस्तक अवश्य पढ़ेंः केतकी चितले
अभिनेत्री केतकी चितले ने कहा कि डॉ. थडानी द्वारा लिखित पुस्तक में शोध कर तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है। मीडिया के कुछ प्रतिनिधियो द्वारा एक विशेष राय बनाई जाती है। तटस्थ होकर डॉ. थडानी ने हत्या की पुलिस जांच और न्यायालय में जो कुछ हुआ, उसके बारे में तथ्यों को प्रस्तुत किया है। जो सच जानना चाहते हैं, उन्हें डॉ. थडानी की पुस्तक पढ़नी चाहिए ।

प्रश्न पूछने का साहस देती पुस्तकः वीरेंद्र इचलकरंजीकर
एडवोकेट वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने कहा कि डॉ. थडानी ने हत्याओं की जांच में एजेंसियों द्वारा की कई गलतियों को उजागर किया है। इस पुस्तक ने लोगों में प्रश्न पूछने का साहस पैदा किया है। गुजरात दंगे, मालेगांव ब्लास्ट केस, भीमा कोरेगांव जैसे मामलों में सवाल पूछे जाने चाहिए। पुस्तक में चार हत्याओं की चर्चा है, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा वाले नक्सलियों द्वारा की गई 14000 से ज्यादा हत्याओं की कभी चर्चा नहीं होती।

कार्यक्रम में ये रहे उस्थित
पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में इतिहासकार, लेखक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रतन शारदा मुख्य अतिथि और अभिनेत्री केतकी चितले विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस अवसर पर हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले हिन्दू विधीज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट वीरेंद्र इचलकरंजीकर भी उपस्थित थे । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन दिप्तेश पाटील और एडवोकेट खुश खंडेलवाल ने किया। कार्यक्रम के समापन सत्र में डॉ. अंजना थडानी ने उस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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