राष्ट्रपति ने युवाओं को बताया सशक्त बनाने का गुर, यहां पढ़ें वो रहस्य

आषाढ़ पूर्णिमा पर हम भगवान बुद्ध के धम्म से परिचित हुए, जो न केवल हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है बल्कि हमारे दैनिक जीवन की एक अनिवार्य विशेषता भी है।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को युवाओं से बुद्ध की शिक्षाओं से सीखने, खुद को समृद्ध बनाने और एक शांतिपूर्ण समाज, एक राष्ट्र और दुनिया के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। आषाढ़ पूर्णिमा, धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस समारोह पर एक रिकॉर्डेड संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध की तीन शिक्षाओं- शील, सदाचार और प्रज्ञा का पालन करके युवा पीढ़ी खुद को सशक्त बना सकती है और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आषाढ़ पूर्णिमा पर हम भगवान बुद्ध के धम्म से परिचित हुए, जो न केवल हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है बल्कि हमारे दैनिक जीवन की एक अनिवार्य विशेषता भी है। उन्होंने कहा कि बुद्ध धम्म के बारे में जानने के लिए हमें सीखना चाहिए और सारनाथ की पवित्र भूमि पर शाक्यमुनि द्वारा दिए गए प्रथम उपदेश को समझें।

संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने अपने विशेष संबोधन में एक सामान्य व्यक्ति की बोधिसत्व के स्तर को प्राप्त करने की यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हम सभी अपने मूल्यों से जुड़े हुए हैं, फिर भी हम अपने कार्यों के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। सही कार्य हमारा भाग्य बदल सकते हैं। उन्होंने बताया कि अपने दैनिक जीवन में सरल और टिकाऊ तरीके से जीना, चेतना के सिद्धांतों का पालन करना और कार्य, भाषण, आचरण में सावधानी के साथ और सही आजीविका का पीछा करते हुए, हम पहले से ही धम्म के सही रास्ते पर हैं।

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