मुंडका अग्निकांड : न्यायिक हिरासत में भेजे गए तीनों आरोपी, पूछताछ में कई महत्वपूर्ण खुलासे

पिछले दिनों दिल्ली के मुंडका स्थित एक इमारत में आग लग गई थी। इसमें झुलसकर 27 लोगों की मौत हो गई थी।

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दिल्ली पुलिस रिमांड पर चल रहे मुंडका अग्निकांड के तीनों आरोपितों को 18 मई को न्यायालय में पेश किया गया। कोर्ट ने तीनों आरोपित मनीष लाकड़ा, हरीश गोयल और वरुण गोयल को न्यायिक हिरासत यानी जेल भेज दिया।

पूछताछ के दौरान तीनों ही आरोपितों ने अहम जानकारियां दी हैं। दूसरी ओर हरीश गोयल और वरुण गोयल का भी डीएनए लेने के बाद एफएसएल की टीम ने अपना काम शुरू कर दिया है।

एफएसएल के अधिकारियों का कहना है कि 10 से 15 दिनों के भीतर सभी डीएनए की रिपोर्ट आने के बाद मृतकों की पहचान की जा सकेगी। फिलहाल अभी 27 मृतकों में से आठ की ही पहचान हो सकी है। बाकी 19 लोगों की पहचान की जानी है। एफएसएल ने इसके लिए स्पेशल टीमों का गठन कर दिया है।

हरीश गोयल और वरुण गोयल से हुई पूछताछ के बाद दोनों ने खुलासा किया है कि घटना वाले दिन कंपनी में 145 लोग मौजूद थे। आग लगने से ज्यादातर लोगों को खिड़कियों के रास्ते स्थानीय लोगों ने बचा लिया था। बाकी अंदर ही आग की चपेट में आ गए थे।

छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि मनीष लाकड़ा ने न तो कोई कमर्शियल लाइसेंस लिया हुआ था और न ही उसके पास फायर की कोई एनओसी थी। इसकी वजह से वह ऐसा जाहिर करता था कि इमारत में कोई गतिविधि नहीं हो रही। आरोपित अपने गार्ड के जरिये बाहर से दरवाजा बंद रखवाता था। दूसरी ओर उसने खुद के जाने के लिए पीछे की ओर एक अलग सीढ़ियां बनाई हुई थीं।

पुलिस की पूछताछ में हरीश गोयल और वरुण गोयल ने खुलासा किया है कि वह लोग कम सैलरी देने की वजह से महिलाओं को ही अपनी कंपनी में काम पर रखते थे। यहां नौकरी पर रखने का काम पांडेय जी नामक शख्स करता था। मुंडका थालर पुलिस इसकी भी तलाश कर रही है। काम पर कोई प्रभाव न पड़े इसके लिए आरोपित कर्मचारियों के मोबाइल भी अपने कब्जे में लेकर जमा करवा लिया करते थे। केवल दोपहर में लंच के समय उनको अपने परिजनों से बात करने के लिए मोबाइल दिए जाते थे।

एफएसएल की टीम से जुड़े एक सदस्य ने खुलासा किया है कि उनकी टीम ने घटना स्थल से कुल 60 जले हुए सैंपल को उठाया था। ज्यादातर अवशेष बिल्कुल कोयले की हालत में हैं। यहां तक उनको देखकर यह भी पता नहीं लग रहा था कि यह मानव के अवशेष हैं या कोई और वस्तु है। डीएनए परीक्षण शुरू होने के बाद इसका खुलासा हो पाएगा। डीएनए की प्रक्रिया को 10 से 15 दिनों के भीतर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।

यह है पूरा मामला
-पिछले दिनों दिल्ली के मुंडका स्थित एक इमारत में आग लग गई थी। इसमें झुलसकर 27 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामले में इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा और किराए पर बिल्डिंग लेकर कंपनी चलाने वाले भाई हरीश और वरुण गोयल को गिरफ्तार किया था। मामले की जांच जारी है।

-मुंडका अग्निकांड मामले में पुलिस सिविक एजेंसियों को भी घेरने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि बिल्डिंग और कंपनी के मालिक के अलावा कहीं न कहीं सिविक एजेंसियां भी हादसे के लिए जिम्मेदार हैं। इसी कड़ी में जांच करते हुए दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग 10 सिविक एजेंसियों को पत्र लिखकर उनसे बिल्डिंग से जुड़े कागजात मांगे हैं।

-सूत्रों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर पुलिस अधिकारी सिविक एजेंसियों के अधिकारियों को बुलाकर उनसे पूछताछ भी करेगी। इन एजेंसियों में नगर निगम, डीएसआईआईडीसी, बीएसईएस समेत बाकी एजेंसियां शामिल हैं।

-डीसीपी समीर शर्मा ने बताया कि रिमांड के दौरान आरोपितों से करीब 15 अलग-अलग डोकोमेंट कलेक्ट किए गए हैं। इनमें बिल्डिंग से जुड़े कागजात के अलावा, रेंट एग्रीमेंट, कंपनी और उसके अनुबंध से जुड़े कागजातों समेत बाकी पेपर इकट्ठा किए गए हैं। पुलिस की टीम इन कागजातों का मुआयना कर रही है। वहीं बिल्डिंग का निरीक्षण करने दौरान पुलिस को पता लगा है कि वहां आग लगने का पूरा सामान मौजूद था।

-दूसरी ओर छानबीन में पता लगा है कि तीनों ही फ्लोर पर जगह बहुत कम थी। वहां जरूरत से ज्यादा लोगों से काम करवाया जा रहा था। अंदर सीसीटीवी और राउटर असेंबलिंग करने के अलावा जगह-जगह वर्क स्टेशन बने थे। इसके अलावा अंदर तीनों मंजिल पर आने-जाने के लिए स्टील के जीने भी बनाए हुए थे। इन सब कारणों की वजह से हादसा इतना बढ़ा हो गया। पुलिस ने पूछताछ के दौरान आरोपित हरीश, वरुण और मनीष से इन सब तथ्यों को क्रॉस चेक किया।

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