Maratha Reservation क्या है मराठा आरक्षण की लड़ाई?

मराठा आरक्षण का मुुद्दा लंबे काल से चल रहा है। इसको लेकर बहुत बड़े बड़े आंदोलन होते रहे हैं। सरकार भी राज्य की लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करनेवाले समाज को नाराज नहीं करना चाहती है।

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मराठा आरक्षण की मांग लगभग दो दशक पुरानी है। इस मांग की पूर्ति तब हुई जब 30 नवंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) की सरकार ने आरक्षण देने के संदर्भ में विधेयक पास किया। इस विधेयक में सरकारी नौकरियों में मराठा समाज (Maratha Samaj) को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रवधान था। परंतु, इस विधेयक के विरोध में मेडिकल छात्रों ने बॉम्बे हाइकोर्ट (Bombay Highcourt) में याचिका दायर कर दी। हाइकोर्ट ने इस पर निर्णय देते हुए शैक्षणिक आरक्षण को घटाकर 12 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 13 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही बॉम्बे हाइकोर्ट ने यह भी कहा कि, अपवाद स्वरूप 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को पार किया जा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा प्रकरण
बॉम्बे हाइकोर्ट के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में चुनौती दी गई थी। इसमें याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि, मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) के लागू होने से आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से पार हो गई है, जो इंदिरा साहनी (Indira Sahani) प्रकरण और मंडल कमीशन (Mandal Commission) प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन है। इस पर लंबी सुनवाई चली और सर्वोच्च न्यायालय ने 5 मई 2021 को मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया। न्यायालय ने अपने ऑब्जर्वेशन में इस निर्णय को असंवैधानिक करार दिया था।

महाराष्ट्र में आरक्षण स्थिति
अनुसूचित जाति –              15 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति –         7.5 प्रतिशत
अन्य पिछड़ा वर्ग –             27 प्रतिशत
अन्य आरक्षण –               2.5 प्रतिशत
कुल –                          52 प्रतिशत

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वर्तमान परिस्थिति
वर्ष 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिये गए मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया था। इसके पश्चात ही मराठा समाज आंदोलन करता रहा है। लेकिन 1 सितंबर 2023 को मराठा समाज ने जालना में बड़ा आंदोलन किया। जिसने हिंसक रूप ले लिया, इसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इसमें मराठा समाज के कई लोग घायल हो गए, जबकि 42 पुलिस कर्मी भी इस प्रदर्शन में घायल हो गए थे। यह आंदोलन मनोज जरांगे पाटील (Manoj Jarange Patil) नामक मराठा समुदाय के एक नेता निकाला था। इस घटना के बाद तत्काल सरकार ने कदम उठाते हुए जालना के एसपी को स्थानांतरित कर दिया है, इसके अलावा एसडीओ को निलंबित कर दिया गया है।

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