Jalna: मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठा आरक्षण के प्रति जताई प्रतिबद्धता, उद्धव सरकार पर लगाया यह आरोप

मुख्यमंत्री शिंदे ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पुलिस पर पथराव करने वाला व्यक्ति मराठा समुदाय का नहीं है। इस आंदोलन की आड़ में मराठा समुदाय और सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है

283

जालना लाठीचार्ज मामला अभी भी गरम है। जिले में तनाव बरकार है और शिंदे सरकार के लिए ये परेशानी का कारण बना हुआ है। स्थिति को देखते हुए 4 सितंबर को दोनों उपमुख्यमंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉनफ्रेंस ली। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जालना लाठीचार्ज के साथ ही मराठा आरक्षण पर भी सरकार का पक्ष स्पष्ट किया।

मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “कुछ लोग जालना में धरना स्थल (मराठा आरक्षण) पर जा रहे हैं, उनका कहना है कि वे धरने पर बैठे लोगों का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वहां जाकर वे सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं, मगर वहां जो लोग भूख हड़ताल पर हैं, वे उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछने की जरुरत नहीं समझ रहे हैं।”

मराठा समाज को बदनाम करने की कोशिश
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, “पुलिस पर पथराव करने वाला व्यक्ति मराठा समुदाय का नहीं है। इस आंदोलन की आड़ में मराठा समुदाय और सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। मराठा समुदाय को इससे सावधान रहना चाहिए। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि लाठीचार्ज मामले में जालना के एसपी का तबादला कर दिया गया है। साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है। जो  लोग भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

मराठा समाज काफी अनुशासन प्रियः मुख्यमंत्री शिंदे
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा,”पहले भी लाखों की संख्या में मराठा समुदाय के 58 मोर्चा निकले हैं, वो बेहद अनुशासित तरीके से हुए थे। हमने अनुभव किया है कि मराठा समाज अनुशासित है, लेकिन आंदोलन की आड़ में कुछ लोग महाराष्ट्र में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों से मराठा समाज के युवाओं को सतर्क रहना चाहिए। सरकार को उन लोगों की चिंता है, जो भूख हड़ताल पर बैठे हैं। पुलिस उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए वहां गई थी। इसी दौरान वहां यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट गई। इसको लेकर सरकार गंभीर है। मराठा आरक्षण को लेकर हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। सरकार ने उच्च न्यायालय में आरक्षण टिकाए रखने का काम किया। लेकिन सरकार बदलने के बाद आरक्षण रद्द कर दिया गया। उस समय अशोक चव्हाण उपसमिति के अध्यक्ष थे। जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने फैसला क्यों नहीं लिया? हमारा रुख ईमानदार है। उस समय सरकार सही निर्णय नहीं ले पाई और सर्वोच्च न्यायालय में यह साबित नहीं कर पाई कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री बनने के बाद हम मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण खारिज करने के बाद 3500 बच्चों की नौकरियां चली गईं, हमने इस तथ्य को याचिका में शामिल किया है।”

Statement against Sanatan Dharma: दिल्ली भाजपा ने उदयनिधि स्टालिन का ऐसे किया विरोध

मराठा आरक्षण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री ने कहा,” हमारी सरकार प्रतिबद्ध है कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए, इसे कानून द्वारा बरकरार रखा जाना चाहिए। हमने इसके लिए वरिष्ठ वकीलों के साथ एक टास्क फोर्स बनाई है। हमारी सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निकाली गई खामियों को सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन मराठा समुदाय को थोड़ा धैर्य बनाए रखना होगा। हम यह साबित करने पर काम कर रहे हैं कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है। सरकार पूरी ईमानदारी और गंभीरता से मराठा समुदाय को आरक्षण देने का प्रयास कर रही है। हम कोशिश कर रहे हैं कि ओबीसी समुदाय को जो लाभ मिलता है, वह मराठा समुदाय को भी मिले। गलत तरीके से दायर किये गये मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। हम मराठा समुदाय के आंदोलन पर लाठीचार्ज का आदेश नहीं दे सकते हैं।”

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.