अतिक्रमण के नाम जिंदा जल गई मॉं बेटी, योगी सरकार पर लगे आरोप

कानपुर में गरीब परिवार द्वारा ग्राम समाज की जमीन पर झोपड़ी बनाना पड़ोसियों को इतना परेशान करने लगा कि वे प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बनाने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि, प्रशासन कार्रवाई के लिए पहुंचा तो परिस्थिति अनियंत्रित हो गई।

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गरीब की झोपड़ी पर बुलडोजर चलाने कानपुर प्रशासन पहुंचा था। यह झोपड़ी कृष्ण गोपाल दीक्षित की थी, जिसे हटाया जाना था। लेकिन इसकी परिणति भयंकर अग्निकांड के रूप में हुई जिसमें कृष्ण गोपाल दीक्षित भयंकर रूप से झुलस गए हैं, जबकि उनकी पत्नी प्रमिला और बेटी नेहा की जिंदा जलकर मौत हो गई। इस प्रकरण के बाद जागे प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।

यह घटना कानपुर की मैथा तहसील के मड़ौली पंचायत की है। जहां सोमवार को ग्राम समाज की भूमि पर बने अवैध झोपड़े का हटाने पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे थे। प्रशासन के साथ बुलडोजर भी था। यह झोपड़ी कृष्ण गोपालल दीक्षित नामक व्यक्ति की थी। विवाद के बीच झोपड़ी में आग लग गई जिसमें प्रमीला दीक्षित और उनकी पुत्री नेहा की बुरी तरह से जलने से मौत हो गई। इस घटना में कृष्ण गोपाल दीक्षित गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

घटना का वीडियो वायरल
इस पूरी घटना का वीडियो सामने आया है, जिसमें कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमीला और बेटी नेहा झोपड़ी में हैं। वे प्रशासन की कार्रवाई से अपनी झोपड़ी बचाने की गुहार लगा रही थीं। लेकिन जब अनसुनी हो गई तो प्रमीला ने झोपड़ा दरवाजा बंद कर लिया। जिसे पुलिस ने खुलवाया और अंदर कहासुनी हो रही थी कि प्रमीला चिल्लाने लगी इन लोगन ने आग लगा दी। इसके बाद पूरी झोपड़ी जलकर खाक हो गई जिसमें मां बेटी की बहुत ही करुण मौत हो गई। इस घटना में कृष्ण गोपाल दीक्षित भी झुलस गए हैं।

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विपक्ष ने बताया ब्राम्हणों पर अत्याचार
इस घटना से राज्य अचंभे में है। समाजवादी पार्टी ने इसे बड़े स्तर पर उठाने का निर्णय किया है। पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ब्राम्हणों के विरुद्ध प्रदेश में हो रहे सभी अत्याचारों को तत्काल कार्यालय के सूचित करने का आदेश दिया है। इन सभी प्रकरणों में सपा का आंतरिक जांच दल जाकर पड़ताल करेगा और उस पर प्रशासन से कार्रवाई करवाई जाएगी। इस बीच समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट में लिखा है कि, कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही। अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है? क्या ‘ महिला सशक्तिकरण’ व ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात केवल कागजी नीति है?

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