मणिपुर मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से किया सवाल, ’14 दिनों तक कुछ क्यों नहीं हुआ?’

मणिपुर वायरल वीडियो मामले में सोमवार (31 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

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मणिपुर (Manipur) वायरल वीडियो (Viral Video) मामले में सोमवार (31 जुलाई) को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा कि वीडियो सामने आने के बाद मामला सामने आया, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं (Women) के साथ मारपीट या उत्पीड़न (Assault Harassment) किया गया है और भी घटनाएं हैं। पीड़ित महिलाओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) पेश हुए। सिब्बल ने बताया कि पीड़ित नहीं चाहते कि मामले की जांच सीबीआई (CBI) से हो।

मणिपुर वायरल वीडियो पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिखाई सख्ती। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से पूछा कि पुलिस को जीरो एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लग गए? कोर्ट ने पूछा, ‘जब घटना 4 मई को हुई तो एफआईआर 18 मई को क्यों दर्ज की गई? 4 मई से 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी? यह घटना सामने आई कि महिलाओं को नग्न कर घुमाया गया और कम से कम दो के साथ बलात्कार किया गया। पुलिस क्या कर रही थी?

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महिलाएं सीबीआई जांच के खिलाफ
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सर्वोच्च न्यायालय मामले की निगरानी करता है तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। मणिपुर की दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं।

केस को असम ट्रांसफर करने का अनुरोध नहीं
कपिल सिब्बल ने कहा, पीड़ित महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई। हमारे पास अभी भी शव नहीं हैं। 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। कोर्ट ने संज्ञान लिया तो कुछ हुआ। तो फिर हम कैसे भरोसा करें? इसलिए हम ऐसी एजेंसी चाहते हैं जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो।’
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी केस को असम ट्रांसफर करने का अनुरोध नहीं किया। हमने कहा है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

अपराध के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति
केंद्र ने 27 जुलाई को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने मणिपुर में दो महिलाओं की नग्न परेड से संबंधित मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। केंद्र ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के मामले में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है।

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