मुंबई। इन दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार से मुम्बई आना लोहे के चने चबाने जैसा है। कोरोना संकट की इस घड़ी मे सिर्फ विशेष ट्रेनें ही चलाई जा रही हैं। इसके चलते मुम्बई में आने के लिए कई महीनों से तैयार बैठे लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है। जो उत्तर भारतीय मार्च-अप्रैल में काम बंद होने के कारण और कोरोना के डर से अपने अपने गांव चले गए थे, वे अपनी रोजी-रोटी के लिए फिर से मुम्बई आने के लिए बेसब्र हैं। लेकिन ट्रेन के टिकट नहीं मिलने के कारण और प्लेन में सफर करने की क्षमता नहीं होने के कारण वे मन मारकर किसी तरह अपने गांव में ही गुजारा कर रहे हैं।
महाराष्ट्र मे अब दुकान,फैक्ट्री, मॉल, होटल और निजी दफ्तर तो खुल चुके हैं लेकिन कर्मचारियों के अभाव में ये ठीक से नहीं चल पा रहे हैं, जबकि मजदूरों के अभाव में शहर के विकास कार्यों को भी गति नहीं मिल पा रही है।
ट्रेन का टिकट नहीं
एक अनुमान के तहत कोरोना महामारी से डरकर मुम्बई शहर से करीब 35 से 40 लाख लोग अपने गांव जा चुके हैं, लेकिन अब जब मुम्बई अनलॉक हो रही है और काम-धंधे शुरू हो गए हैं तो यहां कर्मचारियों और मजदूरों की कमी हो रही है । लेकिन ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण लोग चाह कर भी मुम्बई नही आ पा रहे हैं। तत्काल टिकट के लिए 48 घन्टे लाइन में बिताने के बाद भी टिकट नसीब नहीं हो रहा है, जबकि रेल्वे के एजेंट एक-एक टिकट के लिए 2000 वास्विक किराया के आलावा मांग रहे हैं। मुम्बई आने की कोशिश कर रहे मुकेश शुक्ला का कहना है कि मेरा मुंबई में ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है और मैं वहां दोबारा आना चाहता हूं, लेकिन थर्ड एसी कोच मे भी तत्काल टिकट नहीं मिल पा रहा है। लाख कोशिश के बाद भी टिकट नहीं मिल रहा है और निराशा ही हाथ लग रही है, लेकिन जब मैने रेलवे एजेंट से बात की तो वह 4000 रुपए में लखनऊ-मुम्बई पुष्पक एक्सप्रेस का टिकट देने को तैयार हो गया, जबकि लखनऊ से मुम्बई तक का थर्ड एसी का किराया मात्र 1950 रुपए ही है।
प्लेन के पैसे नहीं
लखनऊ से मुम्बई आने के लिए बेसब्र केसरी यादव के परिवार में 4 सदस्य हैं। दूसरे लोगों की तरह इन्हें भी ट्रेन के टिकट नही मिल पा रहे हैं। जब उन्होंने एयरपोर्ट का रुख किया तो किराया देख कर उनके होश उड़ गए और अन्त मे थक- हार कर अपने गांव में ही रहना उचित समझा। केसरी यादव अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं। इनके जैसे हजारों लोग मुंबई आना चाहते हैं लेकिन पैसे के अभाव में न तो ट्रेन से और ना ही ही प्लेन से मुम्बई आ पा रहे हैं। इनकी मांग है कि सरकार इस समस्या के बारे में कुछ सोचें वर्ना कोरोन से पहले लोग खाये बगैर मर जायेंगे । गौरतलब है कि इस समय लखनऊ से मुम्बई के लिए प्लेन का किराया 5500 से 6500 के बीच है। यदि कोई अपने परिवार के साथ प्लेन से मुम्बई आना चाहता है तो उसे 25 से 30 हजार रुपए खर्च करने पड़ेंगे । ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अपने गांव गया एक आदमी मुम्बई लौटे तो कैसे लौटे?