फिर नया नाटक: अब हिंदू देवताओं से ऐसा षड्यंत्र, पुलिस भी खाली हाथ

पिछले कुछ दिनों से हिजाब विवाद कर्नाटक से साथ ही अन्य राज्यों में जोर पकड़ रहा है। उसके बाद इस प्रदेश में हिंदू देवी देवताओं को नुकसान पहुंचाने के कुछ मामले सामने आए हैं।

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कर्नाटक के दो जिलों में सरकारी स्कूलों में स्थापित देवी सरस्वती की प्रतिमा के अपमान की घटना घटी है। बेलगावी जिले के चिक्कोड़ी क्षेत्र में अज्ञात लोगों ने सरकारी स्कूल में मां सरस्वती की प्रतिमा को खंडित कर दिया, वहीं शिवमोगा जिले में भी इस तरह की घटना घटी है। स्थानीय पुलिस ने दोनों ही प्रकरणों में जांच शुरू कर दी है, परंतु अब तक कुछ ठोस प्राप्त नहीं हुआ है।

देवी के अपमान की घटना हुई वायरल


चिक्कोड़ी जिले की घटना तो वायरल हो  गई है, जिसमें क्षतिग्रस्त प्रतिमा को देखा जा सकता है। संगमरमर के पत्थर से निर्मित चार भुजा वाली प्रतिमा के दो हाथ खंडित कर दिए गए हैं। प्रतिमा के हाथ में रखी वीणा को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह घटना 24 मार्च की है। जिस स्कूल में यह घटित हुआ वह चिंचणी गांव में स्थित है। स्कूल प्रशासन को इस बारे में 26 मार्च को सूचना प्राप्त हुई थी। जिसकी शिकायत चिक्कोड़ी पुलिस थाने में की गई है। इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव है। हालांकि पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। पुलिस इस घटना को अंजाम देनेवालों की जांच कर रही है।

माता सरस्वती और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाओं का अपमान
हिंदू देवताओं के अपमान की दूसरी घटना शिवमोगा जिले में घटी, जहां माता सरस्वती की प्रतिमा के साथ ही स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। यहां के प्राइमरी स्कूल में यह घटना घटी है। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है। वे आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस इस प्रकरण में संदेहास्पद लोगों की जांच कर रही है।

क्या हिजाब विवाद से है संबंध?
इस तरह की घटनाओं को हिजाब विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से यह विवाद कर्नाटक से साथ ही अन्य राज्यों में जोर पकड़ रहा है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में हिजाब पर मुस्लिम समाज की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है कि, हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। शैक्षणिक संस्थानों में ड्रेस कोड को मानना अनिवार्य होगा, जिसमें समुदाय विशेष की हिजाब पहनने की जिद अनुचित है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।

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