पेट और परेशानी के बीच बढ़ा कोरोना तांडव, देश में दोगुना होने की दर बढ़ी

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मुंबई। कोरोना ने एक तरफ जहां विश्व भर के करीब 186 देशों की अर्थव्यवस्था को तबाही के दौर में धकेल दिया है, वहीं गरीब, मजदूर और निम्न तथा मध्यम वर्गीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। उनके लिए अपने और अपने परिजनों का पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। इसके साथ अभी भी कोरोना देश-दुनिया में कहर बरपा रहा है। लेकिन भारत में इसके बढ़ने की रफ्तार सभी देशों से ज्यादा है।
भारत में पिछले 24 घंटों में 97,894 नये मामले आए हैं, जो अभी तक के अधिकतम हैं। इससे पहले 11 सितंबर को 97,570 संक्रमण के मामले आए थे। पिछले 24 घंटे में 1132 लोगों की इस महामारी से मौत हो गई है। दो सितंबर से देश में लगातार हर दिन एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है।
रिकवरी रेट बढ़ी
प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक देश में अबतक कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या करीब 52 लाख हो गई है। इनमें से करीब 84 हजार लोगों ने दम तोड़ दिया है ।इन सब बुरी खबरों के बीच एक अच्छी खबर यह है कि देश में जहां संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है, वहीं रिकवरी रेट भी बढ़ी है और 24 घंटे में करीब 83 हजार मरीज ठीक हो गए हैं।  एक्टिव केस की संख्या 11 लाख के करीब हो गई है, जबकि 40 लाख 50 हजार लोग ठीक हो चुके हैं। इस बीच राहत की खबर यह भी है कि मृत्यु दर और एक्टिव केस रेट में लगातार कमी आ रही है। वर्तमान में मृत्यु दर 1.64 प्रतिशत हो गई है, जबकि रिकवरी रेट 80 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एक्टिव केस
देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। राज्य में दो लाख से अधिक संक्रमितों को इलाज चल रहा है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु, तीसरे नंबर पर दिल्ली और चौथे नंबर पर गुजरात है, जबकि पांचवें नंबर में पश्चिम बंगाल है। इन पांच राज्यों में देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस हैं। कोरोना संक्रमण के मामले में दुनिया में भारत दूसरे स्थान पर है। जबकि अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।
सामान्य यात्रियों के लिए लोकल ट्रेनें चलाने की बढ़ी मांग
इस बीच मुंबई की लाइफलाइन कही जानेवाली लोकल ट्रेनों को सामान्य यात्रियों के लिए शुरू किए जाने का दबाव महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर बढ़ती जा रही। है। हालांकि सरकार ने मिशन बिगिन अगेन के तहत राज्य में काफी ढील दी है। लेकिन समस्या यह है कि जिन लोगों के काम शुरू हो गए हैं, उनके सामने आने-जाने की बड़ी समस्या है। मुंबई में आवागमन के लिए लोकल ट्रेन से बेहतर कोई भी साधन नहीं है, लेकिन इसे सिर्फ आवश्यक सेवा से जुड़े लोगों के लिए ही चलाया जा रहा है। इस वजह से अन्य सामान्य लोगों को बेस्ट की बसों या फिर ऑटो-टैक्सी पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन बसों में जहां कोरोना संक्रमण का खतरा है, वहीं ओला-उबेर और रिक्शा-टैक्सियों से आने-जाने का खर्च इतना ज्यादा है कि कई लोगों की तनख्वाह भी कम पड़ जाएगी।
सहमी-सहमी सी मुंबई
लोकल में जो लोग सफर कर रहे हैं, वे भी सुरक्षा के मद्देनजर भयभीत हैं और सहमे-सहमे से नजर आते हैं।
डाइगनोसिस सेंटर में काम करनेवाले विरार में रहनेवाले प्रदीप वैद्य का कहना है कि लोकल तो चल रही है और मेरा काम भी तेजी से चल रहा है लेकिन ट्रेन में सफर करके कार्यस्थल मुंबई सेंट्रल जाने में डर लगता है कि कहीं मैं संक्रमित न हो जाऊं। उनका कहना है कि लोकल के बाद बस में सफर करना पड़ता है, जिसमें तो सोशल डिस्टैंसिंग न के बराबर ही होती है। हालांकि मैं सुरक्षा के सभी मानदंडों का पालन करने की कोशिश करता हूं। फिर भी भय बना रहता है।
वहीं एक बैंक मे काम करने वाले दिपक जैन ने हिंदुस्तान पोस्ट को बताया कि बैंक मे जाने से डर लगता है। मीरा रोड निवासी जैन ने कहा कि मुझे मीरा रोड से वर्ली जाना पड़ता है। ट्रेन में काफी हद तक सोशल डिस्टैंसिग का पालन तो होता है लेकिन आगे बस में जाना पड़ता है और उसमें भीड़ काफी हो जाती है।
एक निजी कंपनी में काम करने वाले सुनील पाल बताते हैं कि इस कोरोना काल में नौकरी बची रहे, इसलिए डर के साए में वे रोज़ दादर अन्धेरी की बस से यात्रा करते हैं । निजी कम्पनी में ज्यादा काम नहीं होने से सैलरी भी देर से मिल रही है। अगर मैं बस के बजाय टैक्सी से प्रति दिन दादर ऑफिस जाऊंगा तो पूरी सैलरी यात्रा में चली जायेगी। ऐसे में  फिर घर कैसे चलेगा ?
कबतक आएगी वैक्सीन?
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अब लोगों को कोविड-19 वैक्सीन के बाजार में आने का इंतजार है। कुछ कंपनियों का दावा था कि इस साल से बाजार में आम लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध होगी तो कुछ ने अगले साल के शुरूआती महीनों में वैक्सीन आने की बात कही है, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ने इस मामले में जो खुलासा किया है उससे आपका इंतजार और लंबा हो सकता है। वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के चीफ एग्जीक्यूटिव अदार पूनावाला का कहना है कि कोविड-19 वैक्सीन दुनिया में सबको वर्ष 2024 के अंत तक ही मिल पाएगी।
स्पुतनिक-5 आएगी भारत
भारत की फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब्स और रूस की सरकारी कंपनी डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड के बीच करार हुआ है। भारत की कंपनी पहले वैक्सीन का ट्रायल करेगी और उसे पूरी तरह सफल होने के बाद सरकार की तरफ से वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद रूस की तरफ से 10 करोड़ स्पूतनिक वी भेजेगी। यानी इसके लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

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