भविष्य की तकनीक है जैव प्रौद्योगिकी – डॉ. जितेंद्र सिंह

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में बायोइकोनॉमी आजीविका का एक वृहद लाभकारी स्रोत बनने जा रही है।उन्होंने कहा, “भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है”।

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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने कहा कि भारत वर्ष 2025 तक शीर्ष 5 वैश्विक जैव-विनिर्माण हब में शामिल होने के लिए तैयार है। जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology) में वैश्विक व्यापार और भारत (India) की संपूर्ण अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाली जैव-अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण साधन बनने की क्षमता है। मंत्री ने ये उद्गार जैव प्रौद्योगिकी पर एक विशाल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “ग्लोबल बायो-इंडिया- 2023” की वेबसाइट लॉन्च करते हुए किए। यह सम्‍मेलन 4 से 6 दिसंबर, 2023 तक प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा।

दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी गंतव्‍य स्थलों में भारत
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी बायोइकोनॉमी ने पिछले 9 वर्षों में वर्ष-दर-वर्ष दहाई अंक की विकास दर देखी है। उन्होंने कहा कि भारत को अब दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी गंतव्‍य स्थलों में मूल्‍यांकित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2014 में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था लगभग 10 बिलियन डॉलर थी, आज यह 80 बिलियन डॉलर है। केवल 8/9 वर्षों में यह 8 गुना बढ़ गया है और हम वर्ष 2030 तक इसके 300 अरब डॉलर होने की आशा करते हैं”।

बायोइकोनॉमी आजीविका का एक वृहद लाभकारी स्रोत
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में बायोइकोनॉमी आजीविका का एक वृहद लाभकारी स्रोत बनने जा रही है।उन्होंने कहा, “भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है”। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बायोटेक स्टार्टअप भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए अत्‍यंत महत्वपूर्ण हैं।

जैव प्रौद्योगिकी भविष्य की तकनीक
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी भविष्य की तकनीक (technology of the future) है क्योंकि आईटी पहले ही अपने संतृप्ति स्‍तर पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा, “भारत के पास जैव संसाधनों की एक विशाल संपदा है, एक असंतृप्त संसाधन जिसका उपयोग किया जाना बाकी है और विशेष रूप से विशाल जैव विविधता एवं हिमालय में अद्वितीय जैव संसाधनों के कारण जैव प्रौद्योगिकी में एक लाभ है। फिर 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है और पिछले साल हमने समुद्रयान लॉन्च किया था जो समुद्र के नीचे जैव विविधता की खोज करने वाला है”।

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