भंडारा दुर्घटना : मदद पहुंच जाती तो…

सरकारी अस्पताल में नवजातों के विभाग में दो कमरे थे। जिसमें से एक में दस नवजात भर्ती थे दूसरे में सात। जिसमें आग ने सबसे अधिक त्राहि मचाई उसमें दस बच्चे भर्ती थे।

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महाराष्ट्र के भंडारा में सरकारी अस्पताल में नवजातों के लिए बने अतिदक्षता विभाग में आग लग गई। इस आग में दस नवजातों की झुलसने से मौत हो गई। अस्पताल में आग की सूचना पर मदद और बचाव कार्य को लेकर भी आक्रोश है। बचाव कार्य में करीब एक घंटे की देरी का आरोप लग रहा है।

अस्पताल के बाहर परिजनों का जमावड़ा है। जिन्होंने अभी आंखें खोली थीं दुनिया देखने को उनके साथ प्रकृति ने ऐसा खिलवाड़ किया है। मां जिसने नौ महीने जतन से गर्भ में पाला उसके बिलखते रूप के समक्ष खड़े रहने की क्षमता किसी में नहीं है।

सरकारी अस्पताल में नवजातों के विभाग में दो कमरे थे। जिसमें से एक में दस नवजात भर्ती थे दूसरे में सात। जिसमें आग ने सबसे अधिक त्राहि मचाई उसमें दस बच्चे भर्ती थे। आग का वेग इतना भयंकर था कि चार बच्चे बहुत बुरी तरह झुलस गए। आग पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन विभाग और बचाव कार्य पहुंच पाता तब तक घंटे का समय निकल चुका था और दस नवजात अपने प्राण गंवा चुके थे।

सीएम ने जांच बैठाई

इस मामले में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी दोषियों पर कड़़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस दुर्घटना में पीड़ित परिवारों के लिए पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

विपक्ष ने भी किया दुख प्रकट

नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने भंडारा दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंनें दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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