भंडारा अस्पताल की कहानी मां की जुबानी

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भंडारा के सरकारी अस्पताल में नवजात बच्चों की जान जाने के मामले में अब धीरे-धीरे सच्चाई सामने आ रही हैं। ये घटना रात दो बजे घटी है। इसमें दस नवजातों की दर्दनाक मौत हो गई। राज्य सरकार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिये हैं लेकिन अस्पताल में मौजूद परिजन अपने नौनिहालों के बगैर अस्पताल छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

अस्पताल प्रशासन के अनुसार जब नवजातों के वार्ड में आग लगी तो वहां कार्यरत कर्मचारियों ने तत्काल सुरक्षा के उपाय शुरू कर दिये। अगल बगल के वार्ड में भर्ती मरीजों को हटाया गया लेकिन धुएं और आग बढ़ने के कारण दस नवजात जीवित ही आग के हवाले हो गए।

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भंडारा सिविल अस्पताल में हुई ये घटना उस समय हुई है जब राज्य कोविड-19 से लड़ने के लिए एलर्ट मोड में है। इसके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं। लेकिन धरातल पर जो दृश्य अब दिख रहा है उसे मानें तो दावे और धरातल में गहरी खाई है।

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सिविल अस्पताल लगभग 450 बेड का है। जिसमें संपूर्ण जिले से इलाज करना लोग आते हैं। नवजातों के प्राण जाने के बाद बहुत सारे प्रश्न हैं जो अनुत्तरित हैं।

सूनी गोद पूछे सवाल!

  • जब आग लगी तो बच्चों के अतिदक्षता वॉर्ड के कर्मी कहां थें?
  • यदि कर्मी वहां थे तो आग की विकरालता तक पता क्यों न चला?
  • अग्निशमन यंत्रणा दोने का दावा किया जा रहा है लेकिन घटना इसके उलट स्थिति का बयान दे रही है?
  • 2018 में जो आरटीआई थी उसके बाद अग्निशमन और अन्य सुरक्षा इंतजामों में क्या कार्य हुआ?

 

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